छिंदवाड़ा कांड में गिरफ्तार किए गए डॉक्टर प्रवीण सोनी, पुलिस रिमांड पर है। पूछताछ के बाद पुलिस सूत्रों का कहना है कि सिर्फ ढाई रुपए के लालच में डॉक्टर ने बच्चों को ऐसी दवाई लिखी जिसके कारण उनकी मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि, दवाई लिखने के बदले में कंपनी द्वारा एक सिरप के ऊपर डॉक्टर को ढाई रुपए कमीशन दिया जाता था।
डॉक्टर को पहले से ही पता था, कोल्ड्रिफ जानलेवा है
पुलिस सूत्रों ने बताया कि बच्चों को जो खांसी की दवाई लिखी गई थी वह (कोल्ड्रिफ कफ सीरप की एक बोतल) परासिया में 24.54 रुपये में बिकती थी। दुकान पर दवाई बेची जाती थी, वह दुकान भी डॉक्टर प्रवीण सोनी की पत्नी और भतीजे द्वारा संचालित की जाती थी। श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा दवाई लिखने के बदले में डॉक्टर को 10% यानी ढाई रुपए कमीशन दिया जाता था। इसी एक्स्ट्रा ढाई रुपए के लालच में डॉक्टर प्रवीण सोनी द्वारा बच्चों को लगातार कोल्ड्रिफ कफ सीरप लिखी जा रही थी। जबकि डॉक्टर प्रवीण सोनी को पता था कि यह कफ सिरप बच्चों के लिए हानिकारक है।
डॉक्टरों की यूनियन को भी पता था, फिर भी बचाव कर रही है
पुलिस सूत्रों ने बताया कि, Directorate General of Health Services द्वारा दिनांक 18 दिसंबर 2023 को भारत के सभी डॉक्टर को निर्देशित किया गया था कि, 4 साल के कम उम्र के बच्चों को फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन यानी एफडीसी दवाएं न लिखें। डॉ प्रवीण सोनी को निर्दोष बताने वाली डॉक्टर की यूनियन के पदाधिकारी को भी इसके बारे में पता होगा और निश्चित रूप से उन्होंने अपने सदस्यों को (जिसमें डॉक्टर प्रवीण सोनी भी शामिल हैं) इसके बारे में बताया होगा। फिर भी डॉक्टर प्रवीण सोनी बच्चों को कोल्ड्रिफ दवाई देने की सलाह दे रहे थे। बच्चों की तबीयत बिगड़ने के बाद भी डॉक्टर प्रवीण सोनी ने कोल्ड्रिफ लिखना बंद नहीं किया था।