मध्य प्रदेश राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ द्वारा राज्य के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के अंदर अंधकार में भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की गई है।
आर्थिक, सामाजिक समानता के संविधान में प्रदत्त अधिकारों का हनन
संगठन के आधिकारिक प्रेस रिलीज में राज्य सरकार पर उनके संवैधानिक हितों की अनदेखी एवं नियमितीकरण के रास्ते बंद करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि जहां एक और दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के पक्ष में सभी न्यायपालिकाएं उनकी सेवाएं नियमितीकरण करने एवं उन्हें नियमित सेवा हितलाभ प्रदान करने के संबंध में अनेकों बार न्यायादेश पारित कर रही है। वहीं दूसरी तरफ इन कर्मचारियों को नियमितकरण के अधिकार से वंचित कर उन्हें अप्रासंगिक रूप से "स्थाई कर्मी और विनिमितीकर्मी" के आदेश जारी कर सेवाकाल में नियमितीकरण द्वारा उनके परिवारों की तरक्की और उनकी पदोन्नति के रास्ते बंद कर, आगे बढ़ने हेतु आर्थिक, सामाजिक समानता के संविधान में प्रदत्त अधिकारों का हनन किया गया है। वही शासन के नियमित पदों सेवाओं पर बाहर से भर्तियां की जा रही है।
संगठन प्रमुख श्री शील प्रताप सिंह पुंढीर, महासचिव,व्यासमुनि चौबे, डॉक्टर डी,एस,सनोडीया कृष्णकांत मिश्रा भगवान सिंह ठाकुर,शोएब सिद्दीकी,रविशंकर त्रिपाठी सियाराम नेगी, प्रणव खरे, श्रीमती चंद्रकला कहार अनामिका गौर नीलम सिसोदिया ,अंशुदरवार, (महिला विंग) आदि पदाधिकारियो द्वारा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, मुख्य सचिव अनुराग जैन एवं अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग श्री संजय कुमार शुक्ला से वर्तमान लागू स्थाई ओर व्यनिमित नियमों को बदलाव करके प्रदेश दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों जो कि 20,20 25,25 वर्षों से नियमित होने की बाट जोह रहे राज्य शासकीय सेवाओं में सेवारत आर्थिक दुर्दशा ओर बदहालीपूर्ण गरीबी रेखा में जीवन जी रहे राज्य के लगभग 46000 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवाओं को एकमुश्त नियमित कर उन्हें भी शासकीय सेवकों की मुख्यधारा में लाकर लोकतंत्र के इन सम्मानित मतदाताओ को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार देने की माँग की है। रिपोर्ट: शोएब सिद्दीकी, प्रदेश प्रवक्ता Rskass.