मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी दावा करती है कि वह ओबीसी वर्ग की सबसे ज्यादा चिंता करने वाली पार्टी है। उन्होंने सरकारी नौकरी और शिक्षा में ओबीसी को 27% आरक्षण का प्रावधान किया परंतु कांग्रेस पार्टी की चतुराई का खुलासा करते हुए पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा मध्य प्रदेश ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी के भीतर ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया। कांग्रेस को ओबीसी का वोट तो चाहिए परंतु इसके बदले में पार्टी ओबीसी नेताओं को पोस्ट देने के लिए तैयार नहीं है।
मध्य प्रदेश में 17% पोस्ट के बदले 51% वोट चाहती है कांग्रेस
पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा मध्यप्रदेश की बैठक भोपाल में आयोजित हुई जिसमें अन्य बिंदुओं के अलावा कांग्रेस पार्टी द्वारा वर्तमान में 71 जिला अध्यक्षों की नवीन नियुक्तियों में ओबीसी वर्ग को मात्र 12 पद देने पर चिंता व्यक्त की गई (71 में से 12= लगभग 17 प्रतिशत)। यह नियुक्तियां ओबीसी की 51% आबादी के मान से नगण्य जैसी हैं। पूर्व में प्रदेश संगठन और जिला प्रभारियों की नियुक्ति में भी ओबीसी वर्ग के प्रति यही उपेक्षा बरती गई है। यह हालत तब है जब कांग्रेस पार्टी के रायपुर में संपन्न राष्ट्रीय अधिवेशन में ओबीसी को बूथ स्तर से लेकर ब्लॉक, जिला, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर तक की सांगठनिक नियुक्तियों में संख्या के अनुपात में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिए जाने का सर्वसम्मत निर्णय लिया जा चुका है। इसके अलावा राहुल गांधी द्वारा वंचित वर्गों ओबीसी, एससी, एसटी, और महिलाओं को आरक्षण की तय सीमा 50% को हटाकर संविधान में संशोधन कर पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की बात लगातार कहीं जा रही है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को जनता का समर्थन प्राप्त नहीं
प्रदेश व राष्ट्रीय संगठन इन तथ्यों से भली भांति वाकिफ हैं। पर जब भी नियुक्ति का समय आता है परिणाम वही ढाक के तीन पात वाला ही आता है। कांग्रेस के प्रदेश पार्टी संगठन में सामान्य वर्ग को मिलने वाले अनुपात हीन पदों का कारण पार्टी संगठन में सामान्य वर्ग का वर्चस्व है। लेकिन केंद्रीय संगठन को यह स्पष्ट होना चाहिए कि सामान्य वर्ग का यह वर्चस्व केवल पार्टी संगठन में ही है, इन्हें जन समर्थन हासिल नहीं है। यदि,जन समर्थन हासिल होता तो पार्टी 2003 से 2025 तक (15 माह को छोड़कर) लगातार 22वर्ष तक सत्ता से बाहर नहीं रहती।
मध्य प्रदेश में ओबीसी का झुकाव अभी भी भाजपा की ओर है
कांग्रेस पार्टी संगठन को यह स्पष्ट होना चाहिए कि ओबीसी का झुकाव अभी भी भाजपा की ओर है तथा भाजपा की सत्ता का मुख्य आधार यही वर्ग है। किंतु जब भी कांग्रेस पार्टी में सांगठनिक नियुक्तियां होती है हर स्तर पर मनमानी होती है। ऐसी स्थिति में 51% ओबीसी का समर्थन हासिल करना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर होगा।अब केवल बातों में टहलाने,बहलाने से काम चलने वाला नहीं है ।यदि ओबीसी वर्ग का समर्थन हासिल करना है तो पार्टी को इस वर्ग के लोगों को संख्या के अनुपात में पर्याप्त प्रतिनिधित्व देना अनिवार्य होगा।
रिपोर्ट: महेंद्र सिंह, प्रांताध्यक्ष, पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा मध्यप्रदेश।