MP TRIBAL से स्कूल शिक्षा में आए प्राथमिक शिक्षकों की, हाईकोर्ट में याचिका खारिज - Karmachari News

उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश, जबलपुर में दायर रिट याचिका संख्या 34537/2025, याचिकाकर्ता अमन दुबे और अन्य को हाई कोर्ट में माननीय न्यायमूर्ति श्री मनिंदर एस. भट्टी द्वारा खारिज कर दिया क्या। फैसला 12 सितंबर, 2025 को सुनाया गया था। इस मामले में ट्रेवल डिपार्टमेंट से स्कूल एजुकेशन के स्कूलों में नवीन पदस्थापना प्राप्त करने वाले प्राथमिक शिक्षकों की सीनियरिटी का सब्जेक्ट था। 

पृष्ठभूमि और पहली शिकायत

अमन दुबे और अन्य याचिकाकर्ताओं ने प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए एक विज्ञापन के तहत आवेदन किया था, जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) और जनजातीय विकास विभाग (Tribal Development Department) दोनों शामिल थे। याचिकाकर्ताओं ने स्कूल शिक्षा विभाग के अंतिम चयनित उम्मीदवार की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किए थे। इसके बावजूद, उन्हें जनजातीय विकास विभाग में प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।

पहली रिट याचिका और डिवीजन बेंच का आदेश

अपनी शिकायत को उजागर करते हुए, याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। उनकी रिट याचिकाएँ स्वीकार कर ली गईं, और प्रतिवादियों (लोक शिक्षण संचालनालय मध्य प्रदेश शासन, भोपाल) को निर्देश दिया गया कि वे याचिकाकर्ताओं के मामलों पर स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति के लिए विचार करें।यह पिछली याचिका (WP No. 28139/2023, अमन दुबे और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य) डिवीजन बेंच द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के प्रवीण कुमार कुर्मी बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य मामले (सिविल अपील संख्या 7663/2021) में लिए गए निर्णय के आलोक में स्वीकार की गई थी। 

डिवीजन बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ताओं को उनकी योग्यता के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग में रखा जाना चाहिए था, और उन्हें अधिक योग्य होने के बावजूद आरक्षित श्रेणी के अन्य कम योग्य उम्मीदवारों की तुलना में अधिक नुकसानदायक स्थिति में नहीं रखा जा सकता है। 

चॉइस फिलिंग के अनुरूप सीट आवंटित करने का निर्देश

डिवीजन बेंच ने याचिका की अनुमति दी और निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को योग्यता क्रम के अनुसार चॉइस फिलिंग के अनुरूप सीट आवंटित की जाए। यदि उनके पहले पसंदीदा जिले में कोई रिक्ति नहीं है, तो उन्हें उनके अन्य चुने हुए जिलों में स्कूल शिक्षा विभाग के एक स्कूल में सीट आवंटित की जाएगी। 

स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति और इस्तीफे की शर्त

डिवीजन बेंच के आदेश के बाद एक मेरिट सूची तैयार की गई, और याचिकाकर्ताओं को स्कूल शिक्षा विभाग में पदस्थापित किया गया। इसके बाद, जिला शिक्षा अधिकारी, सागर ने 12-06-2025 को एक आदेश जारी किया। इस आदेश में, खंड 5(viii) का उल्लेख किया गया था, जिसमें यह आवश्यक था:
"शासकीय सेवक की स्थिति में विभागीय अनुमति (NOC) अथवा विभागीय अनुमति न होने की स्थिति में संबंधित विभाग को प्रस्तुत सेवा से त्यागपत्र की पावती प्रति".

याचिकाकर्ताओं को बताया गया कि वे जनजातीय विकास विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त किए बिना स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यभार ग्रहण नहीं कर सकते हैं। जनजातीय विकास विभाग ने उन्हें सूचित किया कि यदि वे प्राथमिक शिक्षक के पद से इस्तीफा (त्यागपत्र) देंगे तभी एनओसी दी जाएगी। 

वकीलों का तर्क है कि मजबूरीवश याचिकाकर्ताओं को अपना इस्तीफा प्रस्तुत करना पड़ा। इस्तीफा जमा करने के बाद, याचिकाकर्ताओं को स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दी गई।

वर्तमान शिकायत WP No. 34537/2025

वर्तमान रिट याचिका में याचिकाकर्ताओं की शिकायतें निम्नलिखित हैं:
1. उन्हें नए नियुक्त कर्मचारी (fresh appointee) के रूप में माना जा रहा है।
2. उन्हें 70% की दर से वेतन दिया जा रहा है, जो नई नियुक्ति के पहले वर्ष में स्वीकार्य होता है।
3. उन्होंने अपनी वरिष्ठता और पिछली सेवाओं के लाभों को खो दिया है।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि प्रतिवादियों को उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए इस्तीफे को अनदेखा करने का निर्देश दिया जाए और उन्हें सभी उद्देश्यों के लिए उस तिथि से स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्त माना जाए, जिस तारीख को उन्हें जनजातीय विकास विभाग में नियुक्त किया गया था।

लोक शिक्षण संचालनालय का तर्क

मध्य प्रदेश शासन की ओर से प्रस्तुत हुए सरकारी वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं ने स्वयं पिछली याचिका दायर की थी, जिसके परिणामस्वरूप डिवीजन बेंच द्वारा आदेश पारित किया गया था। जिला शिक्षा अधिकारी के 12-06-2025 के आदेश में त्यागपत्र जमा करने की पावती की आवश्यकता थी, और याचिकाकर्ताओं ने किसी भी समय इस शर्त को चुनौती नहीं दी और 12-06-2025 के आदेश को निष्पादित किया। इसलिए, वर्तमान याचिका खारिज किए जाने योग्य है।

हाई कोर्ट का आदेश:

1. न्यायालय (न्यायमूर्ति मनिंदर एस. भट्टी) ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने पिछली मुकदमेबाजी के बाद जारी किए गए 12-06-2025 के आदेश की शर्तों पर कोई आपत्ति नहीं की।
2. उन्होंने 12-06-2025 के आदेश पर कार्रवाई की।
3. न्यायालय के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने 12-06-2025 के आदेश का लाभ उठाने के बाद, अब उस आदेश की शर्तों के विपरीत दावा करने से रोके जाते हैं (precluded)।
4. याचिकाकर्ताओं ने जनजातीय विकास विभाग के साथ प्रदान की गई पिछली सेवाओं के संबंध में डिवीजन बेंच के आदेश से स्पष्टीकरण/संशोधन प्राप्त करने का कोई प्रयास भी नहीं किया।
5. याचिकाकर्ताओं ने 12/06/2025 के आदेश की शर्त संख्या 5(viii) को चुनौती दिए बिना वर्तमान याचिका दायर की है, जो कि जहाँ तक चुनौती का संबंध है, सुनवाई योग्य नहीं है।
तदनुसार, न्यायालय ने याचिका में कोई सार न पाते हुए, दाखिले के चरण में ही याचिका को खारिज कर दिया।
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