अंशुल मित्तल, ग्वालियर। जनता से वसूली गई संपत्तिकर और जलकर की करीब एक करोड रुपए की राशि निगम में जमा ही नहीं हुई। यह रकम कहां गई ? इसकी अब तक किसी ने सुध ही नहीं ली। बताया जा रहा है कि निगम के जिस भी जिम्मेदार को इस घोटाले की भनक लगी, वही इस घोटाले में हिस्सेदारी हो लिया! मामला वर्ष 2023 का है। जब वसूली पीक पर थी और निगम का सॉफ्टवेयर हैक हो गया था। निगम के सॉफ्टवेयर में आई गड़बड़ी की आपदा को, कई कर्मचारियों ने अवसर के तौर पर देखा और हड़प कर ली निगम की रकम।
रैनसमवेयर अटैक: किसी के लिए आपदा, किसी का अवसर
बता दें कि वर्ष 2023 में 21 दिसंबर को नगर पालिका वेबसाइट रैनसमवेयर अटैक से हैक हो गई थी। इस दिन से ठीक 1 दिन पहले वसूल की गई संपत्तिकर और जलकर की रकम, निगम खाते में जमा हुई या नहीं इस पर निगम के तकरीबन सभी जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं। क्योंकि जब सॉफ्टवेयर हैक हुआ तब कलेक्शन का लेखा-जोखा (फर्द) डाउनलोड ही नहीं हुआ। अब जब फर्द ही डाउनलोड नहीं हुआ, तो जिसकी जैसी मर्जी, कौन पूछने वाला ? पड़ताल में सामने आया कि संपत्तिकर के कर संग्रहकों में से कुछ ने ही, वसूली की रकम निगम खाते में जमा की थी। यहां सबसे ज्यादा फायदा उन्होंने उठाया, जो वसूली की रकम, कुछ दिन रोककर जमा करते हैं। 20 दिसंबर 2023 को सभी वार्डो से मिलाकर निगम खाते में कुल 644293 रुपए संपत्तिकर के जमा कराए गए।
सामने आ रहे तरह-तरह के बहाने, पल्ला झाड़ रहे जिम्मेदार
संवाददाता द्वारा पड़ताल किए जाने पर कुछ कर संग्रहकों ने स्वयं को ईमानदार बताते हुए तरह-तरह के बहाने बनाए। यह भी सामने आया कि मामला खुलते देख, संपत्तिकर के कुछ कर्मचारियों ने 19 से 21 दिसंबर 2023 तक वसूल की गई रकम में से, कुछ अनुमानित रकम वर्ष 2024 के 8वें और 9वें महीने में, 2024 में निगम के बैंक खाते में जमा कराई। जबकि नियम अनुसार शासकीय वसूली की रकम एक दिन से ज्यादा रोकना गैरकानूनी है। पूछे जाने पर कुछ एपीटीओ ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए, कह दिया कि "रकम जमा करना तो टीसी का काम होता है, हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं...।'
मामला खुला तो, कईयों पर गिरेगी गाज
भोपाल समाचार के हाथ लगे कुछ दस्तावेजों से कुछ घोटालेबाजों के नाम सामने आए हैं। इसके बाद जिम्मेदार कर्मचारियों के बीच, आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सूत्रों की माने तो 66 वार्डों में से, 22 वार्डों के कर संग्रहकों ने ही समय पर रकम जमा की थी। विस्तृत जांच किए जाने पर यह रकम करोड़ों की भी हो सकती है। बहरहाल भोपाल समाचार इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। देखना यह है कि निगम के जिम्मेदार अफसर, नगर निगम की रकम वापस लाने, मामले पर कितनी मुस्तैदी दिखाते हैं।