हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की ग्वालियर बेंच ने बर्खास्त सिपाही को बचाने की कोशिश करने वाले कमांडेंट और कमांडेंट को बचाने की कोशिश करने वाले AIG के खिलाफ न्यायालय की अवमानना करने और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने का नोटिस जारी किया है।
आरक्षक रजनेश सिंह भदौरिया का मामला
बात कुछ ऐसी है कि, SAF बटालियन नंबर 14 के सिपाही रजनेश सिंह भदौरिया को सन 2011 में बर्खास्त कर दिया गया था। इससे पहले उनके खिलाफ एक डिपार्मेंटल इंक्वारी हुई थी जिसमें वह दोषी पाए गए थे। रजनेश सिंह भदौरिया ने, उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। दिनांक 28 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने रजनेश सिंह भदौरिया की चुनौती को सही पाया और डिपार्मेंट द्वारा जारी किए गए टर्मिनेशन ऑर्डर को निरस्त घोषित कर दिया।
इधर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ, मध्य प्रदेश पुलिस डिपार्टमेंट की ओर से रिव्यू पिटीशन दाखिल कर दी गई। इसमें हाई कोर्ट को बताया गया कि डिपार्टमेंटल इंक्वारी के दौरान "प्रेजेंटिंग ऑफिसर" नियुक्त किया गया था, इसलिए हाईकोर्ट उनके टर्मिनेशन ऑर्डर को निरस्त नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने फाइल देखी तो पता चला कि पूर्व कमांडेंट श्री शैलेंद्र भारती ने अपने हलफनामे में यह महत्वपूर्ण तथ्य छुपा लिया था। इस प्रकार उन्होंने हाई कोर्ट को गुमराह किया।
हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि सहायक पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पदस्थ तत्कालीन आईपीएस अधिकारी को भी इस मामले में सब कुछ पता था। उन्हें मालूम था कि, शैलेंद्र भारती ने गलत हलफनामा दिया है। इसके बाद भी उन्होंने शैलेंद्र भारती के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए हाईकोर्ट ने दोनों को न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने एवं न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया है। इधर डीजीपी से स्पष्टीकरण मांगा है। पूछा है कि, क्या पुलिस विभाग ऐसे अधिकारियों से संतुष्ट है जो न्यायालय में सही तथ्य नहीं रखते। साथ ही दोनों अधिकारियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई की जानकारी भी देनी होगी। रिपोर्ट: अमित शर्मा।