भारत के कई राज्यों में महालक्ष्मी पूजा, गज लक्ष्मी पूजा, हाथी पूजा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी क्रम में इस वर्ष महालक्ष्मी व्रत का आयोजन दिनांक 14 सितंबर 2025, दिन रविवार को किया जाएगा। इस वर्ष लगभग 21 करोड़ सौभाग्यवती महिलाएं इस व्रत में शामिल होंगी। इस कारण इस व्रत की महिमा का अंदाजा आप लगा ही सकते हैं।
महालक्ष्मी पूजा, गज लक्ष्मी पूजा, हाथी पूजा का मुहूर्त एवं उद्यापन विधि
इसके अतिरिक्त इस समय पितृपक्ष चल रहा है और ऐसे में नए वस्त्र लेना,नए काम करना आदि वर्जित होता है, परंतु महालक्ष्मी व्रत के दिन किसी भी शुभ कार्य को करना उचित माना जाता है। तो चलिए इस महालक्ष्मी व्रत 2025 से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे- महालक्ष्मी व्रत की का महत्व, महालक्ष्मी व्रत की डेट, गज लक्ष्मी पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त, हाथी पूजन व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है, महालक्ष्मी व्रत की कहानी आदि आपके साथ साझा कर रहे हैं।
महालक्ष्मी पूजा, गज लक्ष्मी पूजा, हाथी पूजा की सबसे महत्वपूर्ण विधि
महालक्ष्मी व्रत में "16 बोल की कहानी" का भी विशेष महत्व माना जाता है, इस दिन 16 दिनों में 16 गांठों वाला धागा पहनकर,16 दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर, माता लक्ष्मी के समक्ष 16 दीपक प्रज्वलित कर "16 बोल की कहानी" कहानी सुनने एवं सुनाने का भी विशेष महत्व होता है। महालक्ष्मी व्रत 2025 का प्रारंभ 31 अगस्त 2025 से हो चुका है एवं आज दिनांक 14 सितंबर 2025 को इस व्रत का समापन भी है, अलग-अलग परंपराओं के अनुसार कई सौभाग्यशाली महिलाएं इस व्रत को पूरे 16 दिन तक करती हैं एवं कई सौभाग्यशाली स्त्रियां इस व्रत को केवल 16वें दिन ही करती हैं।
Shree Mahalaxmi Vrat katha -श्री महालक्ष्मी व्रत-सोलह बोल की एक कहानी
"ऊंचो सो परपाटन गांव,
जहां के राजा मंगल सेन,
अभियंती-दमयंती रानी (अमोती-दमोती रानी)
ब्राह्मण बरुआ कहे कहानी,
सोलह बोल की एक कहानी"
इस सोलह बोल को 16 बार दोहराना है।
लेखक:हर्षिता भारद्वाज।
MAHALAXMI, HATHI POOJA, GAJLAXMI POOJA KI VRAT VIDHI, KATHA
महालक्ष्मी पूजा, गज लक्ष्मी पूजा, हाथी पूजा व्रत विधि, कथा एवं तारीख कृपया यहां क्लिक करके पढ़ें। डिस्क्लेमर: यह व्रत, कथा एवं पूजा विधि केवल वैष्णव जनों के लिए है। अर्थात केवल उन श्रद्धालुओं के लिए प्रकाशित की गई है जो श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी में आस्था रखते हैं। यह भारत की एक प्राचीन धार्मिक परंपरा है। किसी भी वैज्ञानिक ने इस विषय में कोई प्रयोग या परीक्षण नहीं किया है और कोई भी रिसर्च पेपर हमारी जानकारी में नहीं है। कृपया अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार पालन करें।