भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री दीपक सक्सेना ने जनता को न्याय दिलाने की लड़ाई में नंबर वन कलेक्टर का कार्यकाल पूरा करने के बाद आज नॉलेज के अभियान का नेतृत्व संभाल लिया है। आयुक्त, जनसंपर्क संचालनालय भोपाल की कुर्सी पर बैठकर श्री दीपक सक्सेना, सरकार की जनहित कार्य योजनाओं को मध्य प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम करेंगे।
दीपक सक्सेना कौन है, जानिए
श्री दीपक सक्सेना का जन्म 20 सितंबर 1969 को मध्य प्रदेश के गुना जिले में हुआ था। प्रायमरी एजुकेशन भी गुना में ही हुई। इसके बाद उनके पिता का ट्रांसफर उज्जैन हो गया। उज्जैन में गणित से M.Sc की पढ़ाई की है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा पास करके ग्राउंड जीरो से अपने करियर की शुरुआत की। निरंतर सफलताओं के चलते 2010 में IAS अवार्ड मिला। 2018-2020 तक नरसिंहपुर जिले के कलेक्टर रहे। पिछले साल 2024 में उन्हें जबलपुर का कलेक्टर बनाकर भेजा गया। यहां उन्होंने पूरे 20 महीने काम किया और रिकॉर्ड बना डाला।
जबलपुर में शिक्षा माफिया को खत्म किया
श्री दीपक सक्सेना की कहानी में वैसे तो बहुत सारे किस्से हैं लेकिन सबसे बड़ी सफलता, प्राइवेट एजुकेशन सिस्टम में सुधार है। इसके लिए जबलपुर में श्री दीपक सक्सेना को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने जबलपुर से शिक्षा माफिया को लगभग पूरी तरह से खत्म कर दिया। मनमानी फीस वसूली के खिलाफ जितनी कठोर कार्रवाई श्री दीपक सक्सेना ने की, मध्य प्रदेश के किसी कलेक्टर ने कभी नहीं की। विद्यार्थियों को मनपसंद दुकान से यूनिफॉर्म और कोर्स की किताबें वह स्टेशनरी खरीदने की आजादी की लड़ाई का नेतृत्व श्री दीपक सक्सेना ने किया। विद्यार्थियों को न्याय की लड़ाई के नेता भी दीपक सक्सेना थे और समर्थक भी दीपक सक्सेना ही थे। एक अकेला अधिकारी, माफिया से भिड़ गया था। जबलपुर में खुलेआम कहा जाता था कि जो शिक्षा माफिया से टकराता है, नौकरी के लायक नहीं रह जाता है। लेकिन श्री दीपक सक्सेना इस लड़ाई को जीत कर आए हैं। श्री दीपक सक्सेना को जबलपुर में एजुकेशन सिस्टम में सुधार के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
दीपक सक्सेना के सामने नई चुनौती
इसमें कोई दो राय नहीं है की हिस्ट्री दीपक सक्सेना ने MPPSC से लेकर जबलपुर में न्याय की स्थापना की रणनीति तक हर परीक्षा पास की है, लेकिन अब श्री दीपक सक्सेना के सामने जो चुनौती है, वह बिल्कुल नए तरीके की है। अब उनको किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना है, बल्कि जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के तरीके बताना है। भोपाल में बैठकर - भिंड के लुधावली से लेकर, बुरहानपुर के जमथी तक, और अलीराजपुर के घूंट से लेकर सिंगरौली के थाटरा तक एक-एक व्यक्ति को बताना है कि, सरकार उनके कल्याण के लिए क्या काम कर रही है।
इस बार दीपक सक्सेना का मुकाबला किसी माफिया से नहीं है बल्कि 20 से अधिक भाषाओं और बोलियां, 100 से अधिक मान्यता प्राप्त जातियों, और आठ संस्कृतियों से है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सबके साथ मिलकर चलना है। लेखक:उपदेश अवस्थी।