मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में पढ़ाई करने आई बालाघाट की युवती की एम्स भोपाल के आईसीयू में मौत हो गई। स्टूडेंट्स का कहना है कि कैंटीन के घटिया खाने के कारण उसकी तबीयत खराब हो गई थी और बीमारी की हालत में उससे ड्यूटी करवाई गई। इसलिए उसकी मौत हो गई। इधर कॉलेज की डायरेक्टर का कहना है कि, उनकी कैंटीन में बेस्ट क्वालिटी का खाना और पानी मिलता है। प्रोटेस्ट करने वाले स्टूडेंट्स के आरोप गलत है।
बीमारी की हालत में काम करवाया और इलाज भी नहीं किया: शिकायत
नर्सिंग स्टूडेंट सोना पटेल ने कहा कि प्रबंधन संवेदनहीनता के साथ-साथ छात्राओं के चरित्र पर सवाल उठाने का काम रहा है। नर्सिंग स्टूडेंट खुशांश का कहना है कि फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाली बालाघाट की शुभांगिनी दशहरे को हॉस्टल में मिले खराब भोजन और दूषित पानी से बीमार होने के बावजूद क्लिनिकल ड्यूटी करने पर मजबूर किया गया। हालत बिगड़ने पर भी समय पर इलाज नहीं दिया गया और छुट्टी पर भेज दिया। इस मामले ने संस्थान की कार्यप्रणाली और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्र डायरेक्टर को हटाने और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
छात्रा की इम्युनिटी इतनी वीक हो गई थी, तीन अस्पतालों में इलाज के बाद भी नहीं बची
शुभांगिनी की तबीयत 16 सितंबर को बिगड़ी थी। पहले बीएमएचआरसी में उसका इलाज चला, लेकिन सुधार न होने पर परिजन उसे बालाघाट ले गए। वहां स्थानीय अस्पताल में तीन-चार दिन इलाज के बाद उसे एम्स भोपाल रेफर किया गया। आईसीयू में भर्ती होने के बावजूद सोमवार को उसकी जान चली गई।
छात्राओं ने कहा: डायरेक्टर ने हमारे चरित्र पर सवाल खड़े किए
स्टूडेंट्स ने दावा किया कि खराब भोजन और दूषित पानी की समस्या लंबे समय से है। बीमार होने पर भी छात्रा को क्लिनिकल ड्यूटी करने को बाध्य किया गया। हालत गंभीर होने के बाद भी उचित इलाज देने के बजाय उसे घर भेज दिया गया। छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने समस्याओं पर चर्चा करने की बजाय उनके चरित्र पर सवाल खड़े किए और मुद्दे बदल दिए।
NSUI ने किया छात्रों का समर्थन
एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने आरोप लगाया कि बीएमएचआरसी की हालत बद से बदतर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अस्पताल की सेवाओं पर ध्यान देने की बजाय निदेशक का झुकाव टेंडरों और निजी डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रचार-प्रसार की ओर है। इसके विरोध में और छात्रा को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंपस में कैंडल मार्च निकाला जा रहा है।
छात्रों की मांगें
- बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक को तत्काल पद से हटाया जाए।
- छात्रा की मौत की उच्च-स्तरीय व निष्पक्ष जांच हो।
- दोषियों पर कार्रवाई और परिवार को मुआवजा मिले।
- नर्सिंग छात्रों को सुरक्षित व स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण दिया जाए।
तीन और छात्राओं की तबीयत बिगड़ी
छात्रों ने दावा किया कि खराब भोजन और दूषित पानी से तीन और छात्राओं की तबीयत बिगड़ी है। शिकायतें लंबे समय से की जा रही थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अस्पताल में इमरजेंसी में इलाज की पर्याप्त व्यवस्था तक मौजूद नहीं है।
हमारी कैंटीन में बेस्ट क्वालिटी का खाना पानी: बीएमएचआरसी का दावा
बीएमएचआरसी की तरफ से जारी स्टेटमेंट में कहा गया कि बीएमएचआरसी प्रशासन को 22 सितंबर को पता चला कि संस्थान के नर्सिंग कॉलेज के फर्स्ट इयर की छात्रा शुभांगीनी दशहरे का भोपाल के एक अस्पताल में देहांत हो गया है। पूरे बीएमएचआरसी के लिए यह दुख का समय है।
मंगलवार सुबह जब नर्सिंग कॉलेज के कुछ विद्यार्थी प्रशासनिक परिसर में अपनी बात रखने आए, तो बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने स्वयं उनसे मुलाकात की। विद्यार्थियों की समस्त बातों को गंभीरता से सुना गया और त्वरित कार्यवाही का भरोसा भी दिलाया गया।
विद्यार्थियों द्वारा लगाए गए आरोप कि संस्था की कैंटीन में मिलने वाले भोजन और पानी की गुणवत्ता खराब है, पूरी तरह निराधार हैं। संस्थान में पीने के लिए उपयोग होने वाले पानी की समय-समय पर वैज्ञानिक जांच कराई जाती है। हाल ही में 9 सितंबर 2025 को कराई गई जांच में पानी पूरी तरह सुरक्षित पाया गया।
हालांकि मैनेजमेंट ने वैज्ञानिक जांच की रिपोर्ट मीडिया के साथ शेयर नहीं की। उसे थर्ड पार्टी का नाम भी नहीं बताया जो कैंटीन के खाने पीने की क्वालिटी की जांच कर रही है।
पुलिस ने रोका कैंडल मार्च
भोपाल, 23 सितंबर (वार्ता) बीएमएचआरसी भोपाल की नर्सिंग छात्रा स्व. शुभांगिनी दशहरे जो बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष की छात्रा थी कि मृत्यु को लेकर छात्रों और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं का आक्रोश सामने आया। छात्रों का आरोप है कि छात्रा की मौत अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से हुई है। मृतक छात्रा की आत्मा की शांति और न्याय की मांग को लेकर एनएसयूआई और नर्सिंग छात्र-छात्राओं ने शाम 6 बजे बीएमएचआरसी कैंपस में प्रशासनिक भवन से मुख्य प्रवेश द्वार तक कैंडल मार्च निकालने का कार्यक्रम बनाया था।