सातवां वेतनमान के बावजूद मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारी रिश्वत लिए बिना कोई काम नहीं करते। पीड़ितों में सिर्फ पब्लिक नहीं है बल्कि कर्मचारी अपने सीनियर को भी नहीं छोड़ते। लोग निर्माण विभाग में एक सीनियर कर्मचारी रिटायर हुआ तो उसके अधिकार के अंतर्गत दिए जाने वाले लाभ निर्धारित करने के लिए क्लर्क ने ₹10000 में रिश्वत मांगी। जबकि सरकार इसी काम के लिए उसको ₹100000 से ज्यादा वेतन देती है। भोपाल लोकायुक्त की टीम ने बाबूजी को पकड़ लिया है।
PWD क्लार्क कमलेश मालवीय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम धारा 7 में FIR
जानकारी के अनुसार फरियादी दुर्गाप्रसाद विश्वकर्मा 31 अगस्त 2025 को लोक निर्माण विभाग, उप संभाग-2 से वेल्डर पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले स्वत्वों और अन्य भुगतानों की प्रक्रिया पूरी कराने के लिए विभागीय बाबू कमलेश मालवीय ने 10 हजार रुपए रिश्वत मांगी। फरियादी ने मामले की शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की। सत्यापन के बाद शुक्रवार की शाम लोकायुक्त की टीम ने झरनेश्वर मंदिर तिराहा, 12 दफ्तर के पास आरोपी को पांच हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। मौके से रिश्वत की राशि भी बरामद कर ली गई। लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी कमलेश मालवीय के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधन 2018) की धारा-7 के तहत मामला दर्ज किया है।
पिछले 7 दिनों में गिरफ्तार किए गए रिश्वतखोर कर्मचारी
- शिवपुरी में एक फॉरेस्ट गार्ड को ₹5,000 की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त की टीम ने पकड़ा।
- आलिराजपुर में एक जूनियर सप्लाई ऑफिसर को ₹50,000 की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया।
- झाबुआ में एक जूनियर सप्लाई ऑफिसर को ₹50,000 की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया।
- जबलपुर में एक डिप्टी रेंजर को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया।
- इंदौर में नगर निगम का दरोगा और एक थर्ड-आई कंपनी का सुपरवाइज़र रिश्वत लेते पकड़े गए।
- जबलपुर में एक महिला अधिकारी (Assistant Grade-2) को ₹5,000 की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया।