भोपाल के एम्स अस्पताल में अब मरीजों को पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अस्पताल के जैव रसायन विभाग में करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से कोबास प्रो एडवांस्ड इंटीग्रेटेड क्लिनिकल बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर मशीन लगाई गई है। यह मशीन एक घंटे में 2,000 से ज्यादा टेस्ट करने की क्षमता रखती है।
ब्लड शुगर से लेकर कैंसर मार्कर्स तक 230 से अधिक टेस्ट केवल एक मशीन से
मध्य प्रदेश के किसी भी अस्पताल में यह मशीन नहीं है। इस नई तकनीक से एम्स भोपाल अब प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के चुनिंदा तकनीकी रूप से अग्रणी अस्पतालों में शामिल हो गया है। यह अत्याधुनिक मशीन एक ही जगह पर 230 से अधिक तरह की टेस्ट करने में सक्षम है। अब मरीजों को ब्लड शुगर, लीवर फंक्शन टेस्ट (LFT), किडनी फंक्शन टेस्ट (RFT), हार्ट प्रोफाइल, थायरॉइड, हार्मोन, विटामिन और कैंसर मार्कर्स जैसी जांचों के लिए अलग-अलग जगह भटकना नहीं पड़ेगा। मशीन पूरी तरह ऑटोमेटेड है, जिससे रिपोर्ट की सटीकता और भरोसेमंदता बनी रहती है।
इधर टेस्ट होगा उधर रिपोर्ट तैयार हो जाएगी
नई तकनीक के आने से इलाज में तेजी आएगी। पहले जहाँ मरीजों को रिपोर्ट मिलने में घंटों या कई बार दिनों तक लग जाते थे, अब कुछ ही समय में रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। इससे डॉक्टरों को भी मरीज की स्थिति का पता जल्दी चल सकेगा और इलाज की शुरुआत समय पर हो पाएगी। रिपोर्ट वितरण में तेजी आने से मरीजों का समय बचेगा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
अस्पतालों में तकनीकी क्षमता मजबूत
कोबास प्रो ई-800 मशीन जांच की गति और सटीकता दोनों में प्रभावशाली है। इससे न केवल मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि अस्पताल पर भरोसा भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह सुविधा एम्स भोपाल को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नई ऊँचाई देगी और सरकारी अस्पतालों की तकनीकी क्षमता को भी मजबूत बनाएगी।
उपरोक्त सभी जानकारी एम्स भोपाल के जैव रसायन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार द्वारा दी गई।