मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अब तक का सबसे एडवांस मोनोपल्स सेकंडरी सर्विलांस रडार सिस्टम लगाया जा रहा है। इसे शॉर्ट में MSSR सिस्टम कहते हैं। यह इतना अधिक पावरफुल है कि आसमान में 60000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे विमान की सभी गतिविधियों को पकड़ने की क्षमता रखता है और विमान के पायलट से डायरेक्ट कांटेक्ट कर सकता है। यदि कोई मुसीबत में है तो मदद कर सकता है और यदि कोई मुसीबत बनकर आ रहा है तो आसमान में ही तबाह कर देने का इंतजाम करवा सकता है।
भोपाल का नया MSSR सिस्टम क्या करेगा
पत्रकार श्री आशीष मीणा की एक रिपोर्ट के अनुसार, आसमान में आमतौर पर विमान 30 से 40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें 50 से 60 हजार फीट तक पहुंच जाती हैं। अधिक ऊंचाई के कारण एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम से उनका संपर्क मुश्किल होता है। नए रडार से अधिक ऊंचाई पर उड़ रहे विमान भी तुरंत ट्रैक किए जा सकेंगे। अगर कोई दुश्मन देश का विमान पास आएगा, तो रडार संकेत देगा कि कौन सा विमान किस दिशा में जा रहा है।
भोपाल का ATC दिल्ली और नागपुर से कनेक्ट रहेगा
मोनोपल्स सेकंडरी सर्विलांस रडार स्थापित करने के लिए एटीसी के पास नया भवन तैयार किया गया है। रडार नार्वे से आयात कर भोपाल लाया जा चुका है। जल्द ही इसकी स्थापना की जाएगी और दिसंबर तक इसका ट्रायल पूरा होगा। 2026 की शुरुआत तक रडार पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा। इस रडार से आपात स्थिति में विमान चालक दल को दिशा-निर्देश देना और डेटा नागपुर तथा दिल्ली मुख्यालय तक भेजना आसान होगा।
एयरपोर्ट डायरेक्टर रामजी अवस्थी ने बताया कि रडार की मदद से विमान की स्थिति, स्पीड और ऊंचाई का पता तुरंत चल सकेगा।। नया सिस्टम अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है। अब हर विमान रडार के दायरे में होगा और हवाई यातायात प्रबंधन आसान और सुरक्षित होगा। भोपाल की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।