भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भोपाल से रिटायर हुए एक अधिकारी पर पहलगाम हमले की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा। दिल्ली की क्राइम ब्रांच के अधिकारी सुधीर कुमार ने 4 जुलाई को इन्वेस्टिगेशन शुरू की। पूरे 70 दिन तक अधिकारी को निगरानी में रखा गया और फिर जो कुछ भी हुआ, वह जानकर आप हैरान नहीं होंगे लेकिन वह सब लोग जरूर हैरान रहेंगे जो नियमित रूप से भोपाल समाचार नहीं पढ़ते।
4 जुलाई को शुरू हुई थी इन्वेस्टिगेशन
रिटायर्ड अधिकारी के बेटे ने भोपाल की साइबर पुलिस को बताया कि, उनके पिता भोपाल के साकेत नगर में रहते हैं। BHEL से रिटायर हुए हैं। दिनांक 4 जुलाई 2025 को उनके पास दिल्ली क्राइम ब्रांच से सुधीर कुमार का फोन आया। उसने बताया कि, आप पहलगाम हमले की साजिश में शामिल है और आपको तत्काल अरेस्ट किया जा रहा है। यह सुनते ही वह घबरा गए। उन्होंने बताया कि, उनका इस घटना से कोई संबंध नहीं है लेकिन अधिकारी ने कॉन्फ्रेंस पर सीबीआई के एक अधिकारी को लिया और बताया कि इन्वेस्टिगेशन के दौरान उनका बैंक अकाउंट और आधार कार्ड का नंबर मिला है। उनके बैंक अकाउंट का उपयोग आतंकवादियों को फंडिंग के लिए किया गया है।
फिर सहानुभूति पूर्वक बात करना शुरू किया
पिता के बार-बार स्वयं को निर्दोष बताने के बाद अधिकारियों ने उनके साथ सहानुभूति पूर्वक बात करना प्रारंभ किया और बताया कि इन्वेस्टिगेशन चल रही है। इस बारे में किसी से चर्चा नहीं करें। फिर बताया कि उनका बैंक अकाउंट फ्रीज होने वाला है। उनके खाते में जितने भी पैसे हैं, वह किसी अन्य अकाउंट में ट्रांसफर करें, जो उनके अथवा उनके परिवार में किसी के नाम से ना हो। फिर सहानुभूति जताते हुए 11 बैंक अकाउंट नंबर दिए। इसमें रिटायर्ड अधिकारी ने अपने प्रोविडेंट फंड के 48 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए।
जांच में मदद के नाम पर रिश्वत मांगी
फिर इन्वेस्टिगेशन में मदद करने के नाम पर 20 लाख रुपए की डिमांड की। रिटायर्ड अधिकारी ने अपनी बेटी, भतीजा और समाधि से 20 लाख रुपए उधार लेकर ट्रांसफर किए। इसके बाद जब और पैसे मांगने लगे तब उन्होंने गुरुवार को अपने बेटे से पैसे मांगे। बेटे ने जब अपने तरीके से काउंसलिंग की तब सारे मामले का पता चला। उनको 70 दिन से डिजिटल अरेस्ट किया हुआ था।
इस मामले में जब भोपाल की साइबर क्राइम पुलिस सामने आई तो पता चला कि सब कुछ फर्जीवाड़ा था। फोन करने वाला व्यक्ति दिल्ली क्राइम ब्रांच का कर्मचारी या अधिकारी नहीं था। वह तो एक ठग था। फिलहाल BHEL के रिटायर्ड अधिकारी डिजिटल अरेस्ट से मुक्त हो गए हैं परंतु 70 दिन में 68 लाख रुपए ट्रांसफर कर चुके हैं।
पुलिस एक ने एक दिन अपराधियों को पकड़ ही लगी लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि भरा पूरा परिवार होने के बावजूद उनको डिजिटल अरेस्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। यदि वह नियमित रूप से भोपाल समाचार पढ़ते तो उन्हें पता चला कि, अपराधी किस तरह से डिजिटल अरेस्ट करते हैं और इनसे बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए।
इस समाचार को प्रकाशित करने का उद्देश्य यह है कि कृपया यह मानकर मत चलिए की अमिताभ बच्चन की आवाज सब ने सुनी होगी और सब जागरूक हो गए होंगे। इस समाचार की लिंक को उन सभी व्यक्तियों के साथ शेयर कीजिए, जो नियमित रूप से समाचार नहीं पढ़ते हैं।