SSC Protest: जंतर मंतर से पहले चेयरमैन गोपालकृष्णन ने सफाई पेश की, सवालों से बचे

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भारत देश के विभिन्न इलाकों में कर्मचारी चयन आयोग के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहे हैं। दिल्ली में अभ्यार्थियों और उनके शिक्षकों पर बल प्रयोग के बाद मामला गंभीर हो गया। 6 अगस्त को जंतर मंतर पर एक बार फिर शिक्षकों का प्रदर्शन होने जा रहा है। इससे पहले SSC के चेयरमैन एस गोपालकृष्णन ने अपनी सफाई पेश की है। पत्रकारों के सवालों से बचने के लिए उन्होंने केवल इंडिया टुडे के माध्यम से बयान जारी किया है। 

हम परीक्षा की एजेंसी नहीं बदलेंगे: SSC के चेयरमैन ने कहा

विरोध कर रहे शिक्षकों और अभ्यर्थियों का कहना है कि, कर्मचारी चयन आयोग ने Eduquity Career Technologies को परीक्षा के आयोजन का ठेका दिया है जबकि यह एजेंसी ब्लैक लिस्ट हो चुकी है और विवादित है। इस एजेंसी द्वारा मध्य प्रदेश में कराई गई सभी परीक्षाओं में विवाद हुए थे। पटवारी भर्ती परीक्षा के रिजल्ट को तो खुद मुख्यमंत्री ने HOLD कर दिया था। मनी कंट्रोल सहित 15 से अधिक वेबसाइट पर यह समाचार प्रकाशित हुआ है कि सन 2020 में केंद्रीय प्रशिक्षण महानिदेशालय (DGT) द्वारा Eduquity Career Technologies को ब्लैक लिस्ट किया गया। लेकिन एसएससी चेयरमैन ने इन आरोपों को खारिज किया कि परीक्षा आयोजित कराने की जिम्मेदारी किसी ब्लैकलिस्टेड एजेंसी को दी गई है। 

एजेंसी ब्लैक लिस्ट होती तो टेंडर से बाहर हो जाती: SSC चेयरमैन

उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब आयोग ने एजेंसी बदली है, इसलिए कुछ छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। गोपालकृष्णन ने यह भी साफ किया कि जिन शहरों में बड़े परीक्षा केंद्र उपलब्ध नहीं थे, वहां छात्रों को दूर के केंद्र आवंटित हुए। लेकिन भविष्य में यह समस्याएं नहीं होंगी। एजेंसी चयन को लेकर उन्होंने बताया कि पुरानी एजेंसी की अवधि 2024 में समाप्त हो चुकी थी, जिसके बाद एक नई एजेंसी का चयन पूरी तरह पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के जरिए किया गया। यदि कोई एजेंसी ब्लैकलिस्टेड होती, तो वह खुद-ब-खुद बाहर हो जाती। 

Eduquity Career Technologies ब्लैक लिस्ट से बाहर कब हुई, हम बताते हैं

Eduquity Career Technologies को केंद्रीय प्रशिक्षण महानिदेशालय द्वारा 2020 में ब्लैक लिस्ट किया गया था और 2 साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया गया था। किसी भी एजेंसी को आजीवन ब्लैक लिस्ट नहीं किया जाता है। May 2022 में उसकी सजा समाप्त हो गई इसलिए कंपनी ब्लैक लिस्ट से बाहर हो गई। जब कर्मचारी चयन आयोग ने एजेंसी को ठेका दिया तो वह ब्लैकलिस्टेड नहीं थी लेकिन सजायाफ्ता थी। इस कंपनी को सरकारी टेंडरों और प्रक्रियाओं में "blacklisted as on date" की शर्त के तहत योग्य माना जाता है। यह बिल्कुल उसी प्रकार है जैसे कोई अपराधी जब सजा काट चुका होता है तो उसे समाज में एक सामान्य जीवन जीने का अधिकार मिलता है।प्रदर्शनकारियों ने एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड कहा इसलिए एसएससी चेयरमैन फायदा उठा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को इस एजेंसी के लिए ब्लैकलिस्टेड के स्थान पर "convicted" शब्द का प्रयोग करना चाहिए। 

हमने किसी का परीक्षा केंद्र दूर नहीं बनाया: एसएससी चेयरमैन

कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष एस गोपालकृष्णन ने कहा कि, छात्रों को जबरन दूर भेजने का सवाल ही नहीं उठता। कुछ छात्रों ने खुद ही दूर के केंद्र विकल्प के तौर पर चुने होंगे। आयोग जल्द ही पोर्टल पर यह डेटा जारी करेगा कि कितने छात्रों को उनकी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद मिली। परीक्षा केंद्र के अंदर गड़बड़ी को उन्होंने स्वीकार तो किया लेकिन कहा कि वह बहुत मामूली गड़बड़ी थी और सब कुछ ठीक हो गया है।

चेयरमैन ने बताया कि कुछ जगहों पर तकनीकी कारणों से परीक्षा रद्द करनी पड़ी, लेकिन उसी दिन दोबारा आयोजन कराया गया। कंप्यूटर में माउस काम न करने जैसी समस्याओं के मामले सामने आए, जिसके बाद सिस्टम रीबूट कर छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया गया। 

परीक्षा केंद्र पर बाउंसर, गाय के तबले के ऊपर परीक्षा केंद्र, परीक्षा केंद्र के पास में डीजे, परीक्षार्थी के साथ हिंसा, परीक्षा का समय भी जाने के बाद भी विद्यार्थियों को रोक कर रखना। इस प्रकार के सभी आरोपों का जवाब उन्होंने नहीं दिया। क्योंकि वह अपने पसंद के पत्रकार के साथ बयान दे रहे थे, इसलिए उन्हें किसी भी तीखे सवाल का सामना भी नहीं करना पड़ा। कृपया नोट कीजिए कि उन्होंने प्रेस के सामने बयान नहीं दिया है और इंडिया टुडे ने भी नहीं कहा है कि उसके पास, एसएससी चेयरमैन के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है। इस प्रकार एकांत में दिए बयान से पलट भी सकते हैं। 

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