भगवान श्री कृष्ण ने इंद्रदेव की पूजा बंद करवा दी इस बात से नाराज होकर इंद्रदेव पृथ्वी पर हर साल 28.6 करोड़ से 32.8 करोड़ के बीच वज्रपात करते हैं। इंद्र का एक वज्रपात 150 स्क्वायर फीट में खड़े हुए इंसानों को पलक झपकते ही राख बना सकता है। लेकिन ऐसा होता नहीं है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण की दूसरी विधि इंद्र के वज्रपात को असफल कर देती है। इंद्र के आक्रोश से इंसानों को बचाने की इस लड़ाई में हर साल 32 करोड़ पेड़ शहीद हो जाते हैं। इस कहानी को आप काल्पनिक कह सकते हैं परंतु इसमें उपस्थित आंकड़े सच्चे हैं और प्रमाणित हैं।
Technical University of Munich (TUM) की रिसर्च
journal Global Change Biology में प्रकाशित हुए एक शोध में स्पष्ट हुआ है कि, बादलों की बिजली गिरने से हर साल पृथ्वी के 32 करोड़ पेड़ नष्ट हो जाते हैं। यह नंबर केवल उन पेड़ों का है जो बिजली गिरने से तत्काल खत्म हो जाते हैं। इसके कारण जंगल में जो आग लगती है और जो पेड़ जलकर नष्ट हो जाते हैं उनकी संख्या इसमें शामिल नहीं है। Technical University of Munich (TUM) के शोधकर्ताओं ने बताया कि एक वज्रपात के कारण 150 स्क्वायर फीट में मौजूद सभी पेड़ नष्ट हो जाते हैं। इन पेड़ों में 60 सेंटीमीटर से अधिक व्यास वाले पेड़ भी शामिल हैं। जिन्हें हम मजबूत वृक्ष मानते हैं।
बिजली अक्सर पेड़ों पर क्यों गिरती है, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग पर क्यों नहीं गिरती
क्या आपने कभी सोचा है, बादलों की बिजली अक्सर पेड़ों पर क्यों गिरती है, इंसानों की बस्ती पर क्यों नहीं गिरती। पहले कुछ वैज्ञानिक कहते थे कि पेड़, इंसानों के घरों से बड़े होते हैं इसलिए बिजली उनके ऊपर जाकर गिर जाती है लेकिन अब दुनिया भर के कई शहरों में पेड़ों से कई गुना ऊंची मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनी हुई है। इसके बाद भी सबसे ज्यादा बिजली हमेशा जंगल में ही गिरती है।
इसके पीछे का मूल कारण है पेड़ों के अंदर chlorophyll नाम का एक रासायनिक तत्व होता है। वह बादल में बिजली के उत्पन्न होते ही उसे अपनी ओर आकर्षित करता है। भारतीय धार्मिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने वृक्षारोपण, जंगलों की रक्षा और गोपालन का जो अभियान शुरू किया था वह आज तक इंसानों की रक्षा करता है। श्री कृष्ण के पेड़ इंद्र के वज्रपात को इंसानों तक पहुंचने से रोकते हैं। और ज्यादातर इंद्र के वज्रपात को असफल कर देते हैं। यदि बिजली कमजोर होती है तो वह पेड़ के तने से होते हुए जमीन में समा जाती है। इसके कारण पेड़ के कुछ पत्ते ही नष्ट होते हैं। लेकिन यदि वज्रपात ताकतवर होता है तो पेड़ शहीद हो जाता है।