मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण का इंतजार कर रहे लोगों के लिए गुड न्यूज़ है। आज सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही के दौरान सरकार की तर्क स्वीकार किए गए और सर्वोच्च न्यायालय मामले की अंतिम सुनवाई के लिए तैयार हो गया। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विधानसभा के मानसून सत्र में स्पष्ट किया था कि, कांग्रेस पार्टी इस मामले में सिर्फ राजनीति कर रही है लेकिन हम डंके की चोट पर रहते हैं कि ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में टॉप ऑफ़ द बोर्ड
दरअसल, मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019 - ओबीसी आरक्षण की संवैधानिक वैधता को लेकर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिए थे। इन तर्कों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार से सहमत हुई। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में अंतिम सुनवाई के लिए सहमत है। इस मामले को 23 सितंबर 2025 को 'टॉप ऑफ़ द बोर्ड' श्रेणी में रखा गया है। यानी, अब अंतिम निर्णय तक इस मामले की रोज सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि, राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम. नटराज और महाधिवक्ता प्रशांत सिंह द्वारा बताया गया कि उच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण पर स्थगन के कारण नई भर्तियो में आ रही दिक्कत की गम्भीरता को देखते हुए जल्द सुनवाई की जाए।
जितने सरकारी पदों पर कोई आपत्ति नहीं थी वहां 27% आरक्षण दे दिया है: मुख्यमंत्री
बता दें, हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि हमारे अपने राज्य के अंदर 27% आरक्षण के मामले पर कांग्रेस दोहरा चरित्र अपना रही है। कांग्रेस ने जानकारी के बिना, कमजोर तथ्यों के साथ अपनी बात रखी। और अब उस बात के आधार पर झूठ बोलती फिरती है। हम डंके की चोट पर कह रहे हैं 27% आरक्षण देंगे। हमारे कई विभागों के अंदर जहां स्टे नहीं था वहां हमने 27% पहले ही आरक्षण दे दिया है। लेकिन, जहां कोर्ट में मामला अटका पड़ा है, वहां भी हम अपनी तरफ से सरकार के पक्ष में 27% आरक्षण की बात लिखकर दे रहे हैं।
एक तरफ पॉलिटिक्स दूसरी तरफ प्रयास
मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के लिए दो प्रकार के प्रदर्शन दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को सरकार के खिलाफ करके अपने पक्ष में वोट बैंक बनाने की कोशिश हो रही है और दूसरी तरफ सरकारी स्तर पर कुछ इस तरह के प्रयास किया जा रहे हैं कि इस बार जब 27% ओबीसी आरक्षण लागू किया जाए तो उसको किसी भी स्तर पर चैलेंज नहीं किया जा सके। सभी पक्षों द्वारा इस व्यवस्था को स्वीकार किया जाए और समाज में सौहार्द बना रहे।