राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश राज्य में लोक सेवकों के पदोन्नति संबंधी वैधानिक अधिकार को न्यायालय को चक्र में फंसा कर राज्य के तृतीय-चतुर्थ श्रेणी सहित लाखों कर्मचारी को पदोन्नति के वैधानिक अधिकार से विगत 8-10 सालों से बंद कर रखा है।
राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ द्वारा न्यायालय और प्रशासनिक कार्रवाई में राज्य के सेवकों का पदोन्नति अधिकार का हनन किया जाने पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि एक और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों द्वारा प्रतिवर्ष पदोन्नति की मांग माननीय मुख्यमंत्री जी से की जा रही है, राज्य के समस्त कर्मचारियों को उनकी पात्रता और उनके कार्य कुशलता चरित्रावली के आधार पर प्रतिवर्ष DPC समिति की बैठकों का आयोजन कर पात्रता अनुसार पदोन्नति दिए जाने के प्रावधान ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं। वहीं अजाक्स और सपाक्स जातिगत कर्मचारी सेवा संघ द्वारा न्यायालय में लगाए गए प्रकरणों की आड़ में राज्य सरकार मूकदर्शक बनकर राज्य के सेवकों की पदोन्नति अधिकारों से वंचित होने की आर्थिक दुर्दशापूर्ण कार्रवाई को देख रही हैं।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष श्री शीलपप्रताप सिंह पुंढीर द्वारा तर्क दिया गया है कि जब मध्य प्रदेश राज्य के विधि एवं विधाई विभाग द्वारा अधीनस्थ सेवकों की सशर्त पदोन्नतियों के आदेश जारी कर उन्हें लाभ प्रदान किया जा रहा है, वही दोहरे मापदंड द्वारा अन्य शासकीय विभाग अध्यक्षों द्वारा अपने विभागों के सेवकों को पदोन्नतियां विचाराधीन माननीय न्यायालय के प्रकरण में पारित अंतिम आदेश के अध्यधीन सशर्त रूप से क्यूं प्रदान नहीं की जा रही? सेवकों की बाधित पदोन्नतियों से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई हेतु जवाबदेह कौन है?
शोऐब सिद्दीकी, प्रवक्ता, राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ मध्य प्रदेश ने बताया कि, संगठन द्वारा शीघ्र ही विधि एवं विधाई विभाग द्वारा गए "सशर्त नियमों के आधार पर" पूरे मध्य प्रदेश के विभागों में पदोन्नतियां प्रदान किए जाने हेतु राज्य के मुख्यमंत्री मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव सामान प्रशासन विभाग को ज्ञापन सौंप कर मांग की जाएगी।