आपका ब्रेन अचानक ब्लैंक क्यों हो जाता है, बड़े रहस्य से पर्दा उठाती रिसर्च रिपोर्ट पढ़िए - Current Affairs

Bhopal Samachar
आपने भी अनुभव किया होगा कई बार अचानक हमारा मन शून्य हो जाता है। उसमें कोई विचार नहीं होता और हमारे आसपास की प्रकृति में किसी भी प्रकार की हलचल होने पर पलक झपकते ही हम सामान्य हो जाते हैं। यहां तक की एक ठंडी हवा का झोंका हमें शून्य की ओर ले जाता है और दूसरी ठंडी हवा का झोंका हमें सामान्य कर देता है। साइंस की लैंग्वेज में इसको "Mind Blanking" कहते हैं। ज्यादातर लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया परंतु हाल ही में Mind Blanking विषय में एक महत्वपूर्ण रिसर्च हुई है। 

क्या सोच रहे हो?

Thomas Andrillon, a neuroscience researcher at the French National Institute of Health and Medical Research and the Paris Brain Institute से बातचीत पर आधारित एक रिपोर्ट में Live Science ने बताया कि, कुछ लोगों के मन में एक झटका लगता है, फिर वह सामान्य हो जाते हैं लेकिन एक अहसास उन्हें हमेशा याद रहता है कि कुछ था जो मैं भूल गया। कई लोगों को अपनी इस अवस्था के बारे में तब तक पता नहीं चलता जब तक की कोई दूसरा व्यक्ति उनसे पूछता नहीं है कि "क्या सोच रहे हो?" तब वह अचानक सामान्य अवस्था में आता है और अक्सर उत्तर देता है "कुछ नहीं"। कभी-कभी लोगों को लगता है कि, वह जरूर कुछ छुपा रहा है परंतु वह सच बोल रहा होता है। उसे अवस्था में वह कुछ नहीं सोच रहा था। 

Mind Blanking

एंड्रिलॉन का कहना है कि, यह स्थिति कई बार बनती है। इसकी फ्रीक्वेंसी हर व्यक्ति के लिए अलग होती है। कुछ स्टडी रिपोर्ट तो यह भी कहती है कि, दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी जागृत अवस्था का 5 से 20% तक इस प्रकार की "Mind Blanking" में बिता देते हैं। 

An investigation of Mind Blanking

journal Trends in Cognitive Sciences के जुलाई के अंक में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि माइंड ब्लैंकिंग की जांच करने के लिए एक प्रयोग किया गया था। इसमें Electroencephalography (EEG) का प्रयोग करके मस्तिष्क की गतिविधि को मापा गया था। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष में बताया गया की मन का भटक जाना और माइंड ब्लैंकिंग में अंतर है। मन भटकने का मतलब होता है व्यक्ति एक स्थान पर है और दूसरे किसी विषय के बारे में विचार कर रहा है जबकि माइंड ब्लैंकिंग का अर्थ है उसके मन में कोई विचार ही नहीं है। 

co-author Athena Demertzi, a neuroscience researcher at the GIGA Institute-CRC Human Imaging Center at the University of Liège in Belgium का कहना है कि अध्ययन के दौरान स्पष्ट हुआ कि माइंड ब्लैंकिंग के समय मनुष्य के मस्तिष्क में Hyperconnectivity दिखाई देती है। Andrillon and Demertzi का कहना है कि, जहां एक और गहरी नींद मस्तिष्क की सफाई, उसे ठंडा करने और ऊर्जा का संरक्षण करने के बाद पूरे सिस्टम को रिसेट करती है वहीं दूसरी ओर माइंड ब्लैंकिंग जागृत अवस्था में मस्तिष्क को रिसेट करने का काम करती है। इसकी फ्रीक्वेंसी उन लोगों में ज्यादा देखी गई है जिन्हें गहरी नींद नहीं आती। 

अब आगे क्या

दोनों वैज्ञानिकों ने कहा कि, अभी तक की स्थिति में हम "माइंड ब्लैंकिंग" को परिभाषित करने में सफल हो गए हैं। अब हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि माइंड ब्लैंकिंग की स्थिति लाभदायक है या हानिकारक। क्या ऐसा भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति काफी लंबे समय तक माइंड ब्लैंकिंग की स्थिति में रहे और उसके बाद फिर सामान्य हो जाए। 

क्या Mind Blanking और Meditation एक ही बात है

भारतीय परंपराओं में "ध्यान" का महत्वपूर्ण स्थान है। लोक प्रयास पूर्वक अपने मन में सभी प्रकार के विचारों को शून्य करने का अभ्यास करते हैं। Mind Blanking की अवस्था में भी मन में सभी प्रकार के विचार शून्य हो जाते हैं। तो क्या Mind Blanking और Meditation एक ही बात है? 
इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर है नहीं, क्योंकि मेडिटेशन एक अभ्यास है। इसके माध्यम से प्रयास पूर्वक अपने मन में विचारों को शून्य किया जाता है जबकि Mind Blanking अचानक उपस्थित होने वाली एक अवस्था है। जो अक्सर मानसिक अस्वस्थता का संकेत देती है। 

अपील:- इस प्रकार के समाचार लिखना काफी कठिन होता है क्योंकि दो पेज का समाचार लिखने के लिए 100 पेज से ज्यादा की स्टडी रिपोर्ट पढ़नी पड़ती है। कृपया लेखक को प्रोत्साहित करें और इस रिसर्च रिपोर्ट के बारे में सोशल मीडिया एवं व्हाट्सएप ग्रुप पर लोगों को बताएं।  लेखक: सपना अग्रवाल ©BhopalSamachar.com
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