किसी भी प्रकार की अप्राकृतिक मृत्यु कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत आ जाती है। हत्या जैसे अपराध के अलावा कई प्रकार की दुर्घटनाओं में भी लोगों की मृत्यु हो जाती है। दुर्घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को कठोर दंड दिया जाता है लेकिन दुर्घटना के कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिसमें सजा नहीं बल्कि क्षमा कर देने का प्रावधान है।
Bharatiya Nyaya Sanhita,2023 की धारा 18, भारतीय की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति विधिपूर्ण नियमों से एवं सावधानीपूर्वक कोई कार्य कर रहा है, एवं उसका ऐसा कार्य करने में कोई आपराधिक उद्देश्य नहीं है तब उसके द्वारा कोई दुर्घटना या मृत्यु हो जाए वह BNS की धारा 18 के अनुसार क्षमा योग्य होगी। BNS की धारा 18 के अनुसार, कोई बात अपराध नहीं है, जो दुर्घटना या दुर्भाग्य से और किसी आपराधिक आशय या ज्ञान के बिना विधिपूर्ण प्रकार से विधिपूर्ण साधनों द्वारा और उचित सतर्कता और सावधानी के साथ विधिपूर्ण कार्य करने में हो जाती है। इसमें "दुर्घटना" से आशय ऐसी घटना से है जो किसी व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर होती है और जिसकी उसने अपेक्षा नहीं की होती है। "दुर्भाग्य" से आशय ऐसी घटना से है जो किसी व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर होती है, लेकिन जिसकी उसने अपेक्षा की होती है।
आईपीसी की धारा 80 (अब BNS की धारा 18) के संदर्भ में पिछले 5 सालों में न्यायालय के कुछ महत्वपूर्ण फैसले जानिए:-
Abhishek Kumar vs State (2023) मामले में, अभिषेक कुमार एक पुलिस अधिकारी था। वह एक अपराधी का पीछा कर रहा था। पीछा करते समय अपराधी एक कार से टकरा गया और उसकी मृत्यु हो गई। अभिषेक कुमार पर हत्या का आरोप लगाया गया। अदालत ने अभिषेक कुमार को बरी कर दिया, क्योंकि अभिषेक कुमार ने अपराधी को पकड़ने के लिए आवश्यक सावधानी बरती थी और अपराधी की मृत्यु दुर्घटनावश हुई थी।
Dr. Subhash Rai vs. State (2022) मामले में, डॉ. सुभाष राय एक डॉक्टर थे। उन्होंने एक मरीज का ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई। डॉ. सुभाष राय पर हत्या का आरोप लगाया गया। अदालत ने डॉ. सुभाष राय को बरी कर दिया, क्योंकि डॉ. सुभाष राय ने ऑपरेशन विधिवत और सावधानीपूर्वक किया था और मरीज की मृत्यु दुर्घटनावश हुई थी।
Harish Kumar vs State (2021) मामले में, हरीश कुमार एक किसान था। वह अपने खेत में काम कर रहा था। अचानक, एक बिजली का तार टूट गया और हरीश कुमार की मृत्यु हो गई। हरीश कुमार के परिजनों ने बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया। अदालत ने बिजली विभाग को बरी कर दिया, क्योंकि बिजली विभाग ने बिजली के तारों की मरम्मत के लिए आवश्यक सावधानी बरती थी और हरीश कुमार की मृत्यु दुर्घटनावश हुई थी।
इन फैसलों से स्पष्ट है कि BNS की धारा 18 के तहत, किसी व्यक्ति को विधिपूर्ण कार्य करते समय होने वाली दुर्घटना के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है, यदि उसने दुर्घटना को रोकने के लिए आवश्यक सावधानी बरती थी।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 18, Punishment
Suresh Kumar vs State (2023) में, सुरेश कुमार एक पुलिस अधिकारी था। वह एक अपराधी का पीछा कर रहा था। अपराधी को फरार होने से रोकने और गिरफ्तार करने के लिए पुलिस अधिकारी सुरेश कुमार ने अपराधी के पैर को निशाना बनाकर गोली चलाई परंतु इसके कारण अपराधी की मृत्यु हो गई। अदालत ने पुलिस अधिकारी सुरेश कुमार को दोषी ठहराया, क्योंकि सुरेश कुमार ने अपराधी को पकड़ने के लिए आवश्यक सावधानी नहीं बरती थी।
अतः, यह स्पष्ट है BNS की धारा 18 के तहत अपराधी को दोषी ठहराने या बरी करने का निर्णय तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। ✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।