Bharatiya nyaya sanhita,2023 की धारा 11 में आपने ठीक प्रकार से जान लिया कि कठोर कारावास या एकांत कारावास का मतलब सश्रम कारावास नहीं होता बल्कि solitary confinement होता है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी व्यक्ति को हमेशा के लिए कालकोठरी में नहीं रखा जा सकता। इसे अमानवीय माना गया है। अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि Solitary confinement से दंडित अपराधी को अधिकतम कितने समय तक काल कोठरी में रखा जा सकता है जानिए।
Bharatiya nyaya sanhita,2023 की धरा 12 की परिभाषा
किसी भी अपराधी को Solitary confinement में लगातार नहीं रखा जाएगा। उसे कुछ अंतराल दिया जाएगा, अर्थात- अगर अपराधी का Solitary confinement तीन माह या उससे अधिक है तब प्रत्येक महीने में उसे सात दिन का अंतराल दिया जाएगा। अगर Solitary confinement की अवधि तीन माह से कम हो तब उसे सम्पूर्ण कल-अवधि में 14 दिन का अंतराल दिया जाएगा।
उधरणानुसार वाद- चार्ल्स शोभराज बनाम अधीक्षक, केंद्रीय जेल दिल्ली- इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि बंदियो को आठ से ग्यारह महीनो की लंबी तक कारागार में एकान्त रखा जाना एक अमानवीय एवं बबर्रता पूर्ण कार्य होने के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 21 में वर्णित मौलिक अधिकार की भावना के विपरीत भी है।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।