न्यायसंगत या न्यायानुमत कार्य वह कार्य होता है जो विधि के अनुसार सही हो अर्थात ऐसा कार्य जिससे किसी भी प्रकार से हो रहे Crimes को रोकना या किसी भी प्रकार के Atrocity को रोकना just or equitable कार्य होता है। ordinary citizens यदि किसी Criminal को पकड़ ले तो उसके Family के लोग अपहरण अथवा बंधक बनाने का Blame लगा सकते हैं। ऐसी स्थिति में हम आपको बता देंगे कानून की कौन सी धारा, आपका संरक्षण करेगी और आपके खिलाफ किसी भी Complaint अथवा किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की गई FIR को रद्द करवा देगी।
Bharatiya Nyaya Sanhita , 2023 की धारा 17, की परिभाषा
कोई कार्य अपराध नहीं है, यदि वह किसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है
An act is not an offence if it is done by a person
जो Method द्वारा न्यायानुमत है।
जो fact की भूल से अपने को Method द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करके किया जाता है।
विधि द्वारा न्यायानुमत कार्य क्या होते हैं
विधि द्वारा justified कार्य वह कार्य है जो किसी Law द्वारा अनुमत है। उदाहरण के लिए, आत्मरक्षा में किसी व्यक्ति को मारना विधि द्वारा justified है।
fact की भूल से अपने को विधि द्वारा justified होने का विश्वास करके किया गया कार्य क्या होता है
तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा justified होने का विश्वास करके किया गया कार्य वह कार्य है जो कोई व्यक्ति उस faith के Base पर करता है कि वह कार्य विधि द्वारा justified है, जबकि वास्तव में वह कार्य विधि द्वारा justified नहीं है।
For example, कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को मारता है, क्योंकि उसे विश्वास है कि वह व्यक्ति एक चोर है, जबकि वास्तव में वह व्यक्ति कोई चोर नहीं है। इस मामले में, व्यक्ति ने तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करके कार्य किया है, इसलिए यह कार्य अपराध नहीं माना जाएगा।
Know some important examples of BNS section -:
एक व्यक्ति अपने घर में घुसने वाले Thief को मारता है। यह कार्य आत्मरक्षा में किया गया है, इसलिए यह विधि द्वारा न्यायानुमत है।
एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को बचाने के लिए उसे चोट पहुंचाता है। यह कार्य विधि द्वारा justified है, क्योंकि यह एक सदाचारपूर्ण कार्य है।
एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को मारता है, क्योंकि उसे विश्वास है कि वह व्यक्ति एक चोर है। वास्तव में वह व्यक्ति कोई चोर नहीं है। यह कार्य तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करके किया गया है, इसलिए यह कार्य Crime नहीं माना जाएगा।
Importance of BNS 17 :-
यह एक महत्वपूर्ण धारा है, क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करती है। यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि कोई व्यक्ति केवल तभी अपराधी माना जाएगा, जब वह जानबूझकर या गलत इरादे से कोई अपराध करे।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 17, Punishment
King v. Julius (1849) मामले में, एक व्यक्ति ने अपने घर में घुसने वाले एक व्यक्ति को मार डाला। व्यक्ति का तर्क था कि उसने आत्मरक्षा में कार्य किया था। अदालत ने व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया, क्योंकि अदालत ने पाया कि व्यक्ति ने वास्तव में आत्मरक्षा में कार्य किया था।
Majumdar v. State (1951) मामले में, एक व्यक्ति ने एक अन्य व्यक्ति को मार डाला। व्यक्ति का तर्क था कि उसने उस व्यक्ति को मार डाला था, क्योंकि उसे विश्वास था कि वह व्यक्ति एक चोर है। अदालत ने व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया, क्योंकि अदालत ने पाया कि व्यक्ति ने तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करके कार्य किया था।
Prem Nath v. State (1966) मामले में, एक व्यक्ति ने एक अन्य व्यक्ति को मार डाला। व्यक्ति का तर्क था कि उसने उस व्यक्ति को मार डाला था, क्योंकि उसे विश्वास था कि वह व्यक्ति एक आतंकवादी है। अदालत ने व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया, क्योंकि अदालत ने पाया कि व्यक्ति ने तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करके कार्य किया था।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।