वैसे तो भारतीय संस्कृति में विवाह एक संस्कार (rites) है, जो जीवन पर्यंत के लिए होता है परंतु कानून में ऐसे बहुत सारे प्रावधान हैं जो पति-पत्नी के झगड़े को किसी दंड प्रक्रिया तक ले जाते हैं। दांपत्य जीवन में विवाद (Controversy) के दौरान पति-पत्नी एक दूसरे का खुलकर अपमान करते हैं, झूठे लांछन लगाते हैं। एक दूसरे के खिलाफ हिंसा और मानसिक प्रताड़ना के मामले दर्ज करवाए जाते हैं। सवाल यह है कि क्या पति-पत्नी एक दूसरे के विरुद्ध मानहानि का दावा ठोक सकते हैं।
Bharatiya Nyaya Sanhita ,2023 की धारा 356 अपवाद 08
किसी विधिपूर्ण अधिकारी के समक्ष किसी अन्य व्यक्ति द्वारा सद्भावनापूर्वक (In good faith) या बिना भेदभाव के कहे गए abusive words मानहानि का Crime नहीं होगा लेकिन जानबूझकर (Intentionally) कर इतना गंभीर झूठा लांछन लगाना जिसके कारण समाज में छवि प्रभावित हो जाए और Public Practices खतरे में हो, तब इसे अपराध माना जाएगा।
Important case - एमसी वर्गीस बनाम टीजे पोन्नम
वाद में High Court ने अभिनिर्धारित किया है कि पति-पत्नी (Husband and Wife) को विशेषाधिकार (privilege) प्राप्त होते हैं उन दोनों के मध्य हुए विवादों के अपशब्द मानहानि का Crime नहीं है। हाई कोर्ट के इस Decision से स्पष्ट हुआ कि यदि दोनों किसी Public Place पर भी एक दूसरे के प्रति अपशब्द का उपयोग करते हैं तो वह एक दूसरे की defamation नहीं माना जाएगा। ✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।