मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता कमलनाथ के लिए काम करने वाले उनके निजी कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित संगठनों में से एक ने भोपाल में आउटसोर्स कर्मचारियों के महाआंदोलन का ऐलान कर दिया है। सितंबर के पहले सप्ताह में भोपाल में प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया है और मध्य प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों से समर्थन जुटाने के लिए संपर्क किया जा रहा है।
आउटसोर्स कर्मचारी का समर्थन पाने जनसंपर्क अभियान
इस बार कर्मचारी संगठन में अपना नाम सामने नहीं किया है बल्कि संयुक्त मोर्चा बनाया है ताकि सबको उनके साथ आने में परेशानी ना हो और जिन लोगों को उनके बारे में पता है, वह भी भ्रमित बने रहें। इस आंदोलन में विशेषकर ग्राम पंचायतों के भवन की सुरक्षा में तैनात पंचायत चौकीदार, चपरासी, सफाई कर्मी एवं पम्प ऑपरेटर जो नौकरी में सुरक्षा, सम्मानजनक वेतन और विभागीय संविलियन की माँग को लेकर दशकों से संघर्ष कर रहे हैं, को शामिल किया जा रहा है। इनके अलावा स्वच्छाग्राही, राजस्व सर्वेयर, कंप्यूटर ऑपरेटर, बिजली विभाग व अस्पताल–मेडिकल कॉलेजों के आउटसोर्स कर्मी, टेली मेडिसिन,योग प्रशिक्षक,आयुष विभाग, निर्वाचन विभाग के आउट सोर्स एवं अंशकालीन कर्मचारियों को एकजुट करने का अभियान चलाया जा रहा है।
आउटसोर्स कर्मचारियों के मुद्दे
- सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन ₹12,500 से ₹16,800 है, लेकिन हकीकत में इससे आधा भी नहीं मिलता।
- कभी भी हटाए जाने का डर सताता है।
- न तो पेंशन का लाभ, न ही अन्य सेवा सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
- पूरा काम लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें जीने लायक वेतन तक नहीं दिया जा रहा।
- आउटसोर्स प्रथा ने प्रदेश में ठेकेदारों को मालामाल कर दिया है।
- कर्मचारी का हक़ का पैसा काटकर ठेकेदार अपनी जेबें भर रहे हैं।
- ठेका कंपनियाँ वेतन का बड़ा हिस्सा डकार लेती हैं।
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