BHOPAL में तुर्की की ड्रग फैक्ट्री मिली, अशोकनगर और गंजबासौदा के लोग चला रहे थे

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को ब्लैकमेल करने वाले पाकिस्तानी नेटवर्क के बाद अब एक ड्रग फैक्ट्री में मिली है। इस फैक्ट्री को अशोकनगर का फैसल कुरैशी चलता था और उसका लीडर तुर्की में रहता है। इसका खुलासा Government of India, Directorate of Revenue Intelligence ने किया है।

पाकिस्तान और तुर्की के माफिया भारत में मिलकर काम कर रहे हैं

ईटखेड़ी पुलिस ने बताया कि अशोक नगर का फैसल कुरैशी गुजरात की एक फार्मा कंपनी में नौकरी करता था। यहीं पर तुर्की के ड्रग्स माफिया सलीम उर्फ इस्माइल उर्फ डोला ने उससे संपर्क किया। पुलिस ने बताया कि सलीम भारत में दाऊद इब्राहिम के नेटवर्क के सपोर्ट के साथ आगे बढ़ रहा था। यानी कि तुर्की और पाकिस्तान मिलकर भारत में वह सब कुछ कर रहे हैं जिसका खुलासा भोपाल में पिछले 6 महीने से हो रहा है और हर सप्ताह कोई नई जानकारी मिल जाती है। 

गंजबासोदा का रज्जाक खान ने भोपाल का सेटअप बनवाया


पुलिस ने बताया कि इस्माइल से मिलने के बाद अशोकनगर के फैसल कुरैशी ने फार्मा कंपनी में नौकरी छोड़ दी और गंजबासौदा के रज्जाक खान के साथ मिलकर भोपाल के इस्लामनगर (जिसका नाम बदलकर जगदीश पुरा कर दिया है) में ड्रग्स की फैक्ट्री सेटअप कर दी। यहां से पूरे भारत में खतरनाक मादक पदार्थों की सप्लाई की जाती थी। यह सप्लाई खुले मार्केट में नहीं की जाती थी बल्कि भारत में उनके लिए काम करने वाले भारतीय मुस्लिम लड़कों को की जाती थी। 

भोपाल में ड्रग्स की फैक्ट्री को बिजली कंपनी ने 2 घंटे में कनेक्शन दिया

पुलिस ने बताया कि इस्लामनगर में फैसल कुरैशी और रजाक खान ने एक ऐसा मकान किराए पर लिया जो पिछले 7 साल से बंद था। बिजली कंपनी के अधिकारियों द्वारा यहां पर तत्काल बिजली कनेक्शन दे दिया गया। जब पुलिस पूछताछ करने आई तो दो आउटसोर्स कर्मचारी को इसके लिए जिम्मेदार बताया गया। दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। 

कॉलेज की लड़कियों को ब्लैकमेल करके रोजा रखवाते हैं

यह माफिया भारत के गरीब मुसलमान के लड़कों को टारगेट करते हैं। उनको महंगी बाइक, मोबाइल फोन और चश्मा आदि दिलवाए जाते हैं। पार्टी करने के लिए पैसे भी दिए जाते हैं। बदले में लड़कों को एक काम करना होता है। कॉलेज में पढ़ने वाली गैर मुस्लिम लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाना होता है। लड़कियों को पार्टी और गिफ्ट पर जितना भी खर्च होता है सब माफिया की तरफ से दिया जाता है। बदले में लड़की के प्राइवेट फोटो लिए जाते हैं। फिजिकल रिलेशन बनाने का वीडियो देने के बदले में एक साथ एक लाख रुपए मिलता है। इस दौरान कहीं किसी जगह मिलने के लिए या पब्लिक प्लेस पर साथ ले जाने के बहाने लड़की को बुर्का पहनाया जाता है। बुर्का पहने हुए गैर मुस्लिम लड़की का फोटो कलेक्ट किया जाता है। इसके बाद लास्ट टारगेट होता है लड़की को रोजा रखवाना। इस तरह प्यार में पागल लड़की मुसलमान बन चुकी होती है। उसके पास वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं होता क्योंकि उसके फोटो और वीडियो माफिया के पास होते हैं। 

यदि भारतीय मुसलमान लड़का, लड़की से शादी कर लेता है और लड़की विधिवत धर्म परिवर्तन कर लेती है तो शादी में गिफ्ट के नाम पर ढाई से 5 लाख रुपए तक दिया जाता है। गैर मुस्लिम लड़की को मां बना देने के बदले में ₹200000 मिलते हैं। 

माफिया का टारगेट भारत के गरीब मुसलमान की मदद करना नहीं है बल्कि उनके माध्यम से अपना टारगेट प्राप्त करना है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान माफिया द्वारा भारतीय मुस्लिम लड़के और उसके प्यार में पागल गैर मुस्लिम लड़की को ड्रग्स का शिकार बना दिया जाता है। ड्रग्स को मार्केट से खरीद कर लड़कों में सप्लाई करना है काफी महंगा काम था इसलिए माफिया ने अपनी ही फैक्ट्री सेटअप कर दी।
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