मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सांसद श्री आलोक शर्मा का कहना है कि, यह प्रमाणित सत्य है कि भोपाल का आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान, भारत का गद्दार था। भारत से समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी भोपाल को पाकिस्तान में मिलाना चाहता था। उसके नाम पर हमीदिया स्कूल और हमीदिया अस्पताल, शर्म की बात है।
नवाब हमीदुल्लाह गद्दार क्यों था
सांसद श्री आलोक शर्मा ने दोहराया कि, भोपाल के 1000 साल के गौरवशाली इतिहास में 700 साल तक भारत के महान शासक अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य, राजा भोज और परमार वंश का शासन रहा। भोपाल रानी कमलापति का सबसे प्रिय शहर था। धोखेबाज दोस्त खान के वंशज हमीदुल्लाह खान भी अपने पूर्वज की तरह गद्दार और धोखेबाज था। एक तरफ उसने गांधी और नेहरू का विश्वास जीता और दूसरी तरफ जिन्ना से जाकर मिल गया। एक तरफ उसने भारत के साथ भोपाल के विलयपत्र पर हस्ताक्षर किए, भारत सरकार से पेंशन और राजाओं को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लिया और दूसरी तरफ भोपाल को पाकिस्तान में शामिल करने की साजिश कर रहा था।
सांसद श्री आलोक शर्मा ने मांग की कि अब नया इतिहास पढ़ाया जाए और इन नवाबों के नाम पर रखे गए संस्थानों के नाम बदले जाएं। उन्होंने कहा कि भोपाल में रशीदिया स्कूल, हमीदिया स्कूल, हमीदिया अस्पताल और हमीदुल्लाह के नाम पर जितनी भी सरकारी संपत्तियों के नाम है, वह सब बदल दिए जाने चाहिए क्योंकि किसी भी सरकारी संपत्ति पर हमीदुल्लाह का नाम, भोपाल के लिए शर्म की बात है।
नवाब हमीदुल्लाह: भोपाल के मुसलमान भी खिलाफ हो गए थे
हम यहां यह भी उल्लेख करना चाहते हैं कि, अंतिम समय में केवल हिंदू ही नहीं बल्कि भोपाल रियासत के मुसलमान भी नवाब हमीदुल्लाह के खिलाफ हो गए थे। नवाब को भोपाल के मुसलमान पर भरोसा नहीं था। उसने बाहर से अपने रिश्तेदारों को बुलाना शुरू कर दिया था। यहां तक की नवाब हमीदुल्लाह की सेना में शामिल भोपाल के मुसलमान सिपाहियों ने, 1947 के बाद क्रांतिकारियों की हत्या करने तक से इनकार कर दिया था। तभी तो नवाब हमीदुल्लाह भोपाल छोड़कर ब्रिटेन भाग गया।