भोपाल: ड्रग स्मगलिंग के कई केस में इनवॉल्व भोपाल के ‘फिश फैमिली’ के खिलाफ एक्शन लेते हुए गुरुवार को भोपाल एडमिनिस्ट्रेशन ने कोकता हथाईखेड़ा में लगभग सिक्स थाउजेंड स्क्वायर फीट में बनी थ्री स्टोरी मैनशन को बुलडोजर से डिमॉलिश कर दिया।
भोपाल में फिश फैमिली ने 20 करोड़ का घर बना लिया था
ऑफिशियल्स ने बताया कि यह मैनशन गवर्नमेंट लैंड पर बना था और एक्यूज्ड फैमिली के पास इसके कोई लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं थे। हुजूर एरिया के ‘सब डिविजनल मैजिस्ट्रेट (एसडीएम)’ विनोद सोलकिया ने बताया, “यह होल बिल्डिंग गवर्नमेंट लैंड पर थी और एक्यूज्ड के पास इसके कोई लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं। तहसीलदार के नोटिस में आने के बाद क्विक एक्शन लिया गया। लैंड और बिल्डिंग की मार्केट वैल्यू करीब ट्वेंटी करोड़ होगी।”
मछली के घर वाले टीआईटी कॉलेज की लड़कियों को अपने जाल में फंसा लेते थे
‘फिश फैमिली’ पर ड्रग स्मगलिंग और ब्लैकमेलिंग के इल्लीगल बिजनेस में इनवॉल्व होने के चार्जेस हैं। पुलिस ऑफिसर्स ने बताया कि यह फैमिली न सिर्फ इल्लीगल ड्रग्स सप्लाई में इनवॉल्व थी, बल्कि टीआईटी कॉलेज के कथित ‘लव जिहाद’ केस में स्टूडेंट्स के ऑब्सीन वीडियोज बनाने में भी इसका रोल सामने आया है। उन्होंने कहा कि फैमिली के खिलाफ कई केस रजिस्टर्ड हैं, जिनमें ड्रग स्मगलिंग, सेक्शुअल हैरसमेंट और एक्सटॉर्शन के चार्जेस शामिल हैं।
ड्रग स्मगलिंग केस में शाहवर फिश और उसके नेफ्यू यासीन को क्राइम ब्रांच ने हाल ही में अरेस्ट किया था। सर्च में उनके पास से 3 ग्राम ‘एमडी’ ड्रग और एक लोकल पिस्टल रिकवर हुई थी।
सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर मंजू चौहान ने बताया, “गवर्नमेंट लैंड पर यह बिल्डिंग बनी थी, इसलिए बुलडोजर एक्शन लिया गया।”
उन्होंने कहा कि डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन, म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन और पुलिस की जॉइंट टीमें ने ड्रग स्मगलिंग बिजनेस में इनवॉल्व ‘फिश’ फैमिली से रिलेटेड प्रॉपर्टीज को डिमॉलिश कर दिया।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने फुल सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स किए थे ताकि अगर लॉ एंड ऑर्डर सिचुएशन क्रिएट हो तो उसे कंट्रोल किया जा सके।
ऑफिशियल्स ने बताया कि पुलिस एक्शन से पहले फैमिली को नोटिस देकर सामान हटाने का टाइम दिया गया था।
हालांकि, फिश फैमिली के लॉयर गोपेश शिकवाल ने कहा कि रूल्स के हिसाब से फिफ्टीन डेज पहले नोटिस देना चाहिए था, लेकिन वे (ऑफिशियल्स) आए और सायलेंटली नोटिस छोड़कर चले गए।
उन्होंने कहा, “आज का एक्शन गाइडलाइन्स फॉलो नहीं करता और इसके कॉन्टेम्प्ट के लिए उनके क्लाइंट हाई कोर्ट जाएंगे।”