मध्य प्रदेश के प्रख्यात शिक्षाविद् श्री ब्रह्मानंद, 98 वर्ष की आयु में, ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने लगभग 45 वर्ष तक रीवा में रहते हुए शिक्षा के लिए कार्य किया। श्री ब्रह्मानंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती महाकौशल प्रांत के प्रांत संगठन मंत्री पद का दायित्व निभा चुके थे। सामाजिक कार्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। उनके जीवन के सिद्धांतों की एक झलक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव में भी देखने को मिलती है। डॉ मोहन यादव, स्वर्गीय श्री ब्रह्मानंद के जामाता हैं।
उत्तर प्रदेश के श्री ब्रह्मानंद यादव मध्य प्रदेश कैसे आए
श्री ब्रह्मानंद यादव की शिक्षा मुंबई में हुई थी। इसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग को अपनी सेवाएं दी। वह रीवा में एक सरकारी शिक्षक बनकर गए थे। 1987 में प्राचार्य के पद से सेवानिवृत हुए। सरकारी नौकरी से तो रिटायर हो गए परंतु शिक्षा के दायित्व से रिटायरमेंट नहीं लिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए और विद्या भारती के लिए काम करने लगे। शासकीय सेवानिवृत्ति के बाद भी वह कितने सक्षम थे, इस बात से प्रमाणित हो जाता है कि, विद्या भारती में उन्हें महाकौशल प्रांत के प्रांत संगठन मंत्री पद का दायित्व उस समय दिया गया। जब महाकौशल और खास तौर पर विंध्याचल में विद्या भारती एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए कठिन समय था।
श्री ब्रह्मानंद यादव का परिवार
उनके परिवार में उनके पुत्र श्री रामानंद यादव भारतीय वायु सेवा से रिटायर हुए हैं। श्री सदानंद यादव, सरस्वती शिशु मंदिर रीवा में सेवाएं देते हैं। श्री ब्रह्मानंद यादव ने अपना तीसरा बेटा श्री विवेकानंद यादव, अपनी जन्मभूमि सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश को समर्पित कर दिया। श्री विवेकानंद अपने पिता की तरह सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं। उनकी एकमात्र लाडली कन्या सीमा यादव का विवाह उज्जैन के डॉक्टर मोहन यादव से हुआ है, जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
सिद्धांतों की झलक
श्री ब्रह्मानंद यादव को जानने वाले लोगों में बड़ी संख्या उनकी भी है जिन्हें आज पता चला कि, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, उनके दामाद है। वह भी इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी श्रद्धांजलि मीडिया की हेडलाइंस बनी। अपने परिवार को अपने राजनीतिक अस्तित्व से अलग रखना, और हमेशा जमीन से जुड़े रहना, यदि कभी पद का अभियान की स्थिति निर्मित होने लगे तो उस पर नियंत्रण के लिए प्रयास करना। यदि कभी पद का अभियान की स्थिति निर्मित होने लगे तो उस पर नियंत्रण के लिए प्रयत्न में करना। यह सिद्धांत श्री ब्रह्मानंद यादव का ही है, जो डॉक्टर मोहन यादव में भी दिखाई देता है। जिसके लिए उनकी सर्वत्र प्रशंसा होती है।
मां भारती की सेवा में संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले, परम पूज्य ससुर श्रद्धेय ब्रह्मानंद यादव जी का देवलोकगमन अत्यंत दुखद है। आपके चरणों में सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 16, 2025
आपने जीवन का प्रत्येक क्षण राष्ट्र सेवा और जनकल्याण के लिए न्यौछावर किया। आप एक शिक्षक थे आपने सदैव… pic.twitter.com/0KKC2CkCdw