NEET-UG 2025 की परीक्षा के दौरान अचानक हुई बिजली कटौती के चलते डिस्टर्ब हुए 75 विद्यार्थियों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। उन्होंने Subject to the decision of the petition, काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनके निवेदन को नामंजूर कर दिया है। हालांकि हाई कोर्ट में साबित हो चुका है कि अचानक बिजली कटौती के कारण विद्यार्थियों को परेशानी हुई, लेकिन फिर भी हाईकोर्ट ने परेशान हुए विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी थी। इसलिए मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
NEET-UG 2025: सुप्रीम कोर्ट में आज की कार्यवाही का विवरण
बुधवार (23 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और एएस चंदुरकर की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स नव्या नायक और एस साई प्रिया के वकील ने कहा कि काउंसलिंग के लिए एक अधिसूचना जारी की गई है। इसमें बिजली कटौती से प्रभावित स्टूडेंट्स को भी भाग लेने के लिए अस्थायी अनुमति मिलनी चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। याचिका पर अब शुक्रवार को सुनवाई होगी। साथ ही 51 अन्य स्टूडेंट्स की याचिका पर भी इसी दिन सुनवाई होगी।
विद्यार्थियों की दलीलों पर NTA का वकील भारी पड़ा
NEET UG के एग्जाम के दौरान बिजली गुल होने के मामले में 14 जुलाई को एमपी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 75 से ज्यादा प्रभावित स्टूडेंट्स की दोबारा परीक्षा कराने संबंधी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। जबकि हाई कोर्ट में यह मान लिया गया था कि परीक्षा के दौरान अचानक बिजली कट हुई और परीक्षा केंद्र पर पावर सप्लाई के लिए कोई विकल्प नहीं था। हाईकोर्ट ने परीक्षा कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की रिट अपील मंजूर करते हुए अपना फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट द्वारा NTA की रिट अपील मंजूर करने के बाद उसी दिन शाम को ऑर्डर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था। इसके बाद शाम 6 बजे NTA ने उन 75 स्टूडेंट्स, जिनके रिजल्ट पर स्टे था, के रिजल्ट घोषित कर दिए। इसकी सूचना हर स्टूडेंट को उनके मेल पर दी गई।
16 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट उन उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हुआ, जो परीक्षा में शामिल हुए थे और कुछ केंद्रों पर जिन्हें बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के वकील की दलील
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोनों याचिकाओं में से एक में दोबारा परीक्षा कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे परीक्षा देने वाले लाखों छात्र प्रभावित होंगे।