मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष श्री मुकेश नायक ने ग्वालियर-चंबल संभाग के डबरा, भिंड, शिवपुरी, और दतिया जिलों में लगातार हो रही अतिवृष्टि के कारण हुई भारी तबाही और प्रशासन की निष्क्रियता पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने सीधा आरोप लगाया है कि उपरोक्त चारों जिलों के कलेक्टर्स ने अब तक सर्वे के लिए अपनी टीम को नहीं भेजा है। जबकि किसानों को तत्काल मुआवजा की जरूरत है। यदि इस चेतावनी के बाद भी चारों जिले के कलेक्टर्स ने RRB की गाइडलाइन का पालन नहीं किया तो ग्वालियर में किसान आंदोलन किया जाएगा।
ग्वालियर चंबल संभाग के 200 गांवों में फसलों को व्यापक नुकसान
श्री नायक ने बताया कि दतिया जिले के सेवढ़ा, भांडेर, और दतिया विकासखण्डों सहित इन पाँच जिलों के कम से कम 200 गांवों में भारी बारिश ने फसलों को व्यापक नुकसान पहुँचाया है। तिलहन और दलहन की फसलें कई स्थानों पर 100% नष्ट हो चुकी हैं। इससे पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे किसान गंभीर आर्थिक संकट में हैं। इसके अतिरिक्त, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों मकान ढह चुके हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
किसी भी कलेक्टर ने अब तक सर्वे नहीं करवाया
श्री नायक ने सवाल उठाया, "जब गाँवों में तबाही स्पष्ट दिख रही है, तो राजस्व विभाग की टीमें अब तक सर्वेक्षण के लिए क्यों नहीं भेजी गईं? क्यों कोई आधिकारिक पंचनामा या क्षति का सर्वेक्षण नहीं हुआ?" उन्होंने मांग की कि प्रशासन तत्काल प्रभावित गांवों में राजस्व अमले की टीमें भेजे और राजस्व पुस्तक परिपत्र (RBC) दिशानिर्देशों के अनुसार किसानों व प्रभावित परिवारों को शीघ्र मुआवजा प्रदान करे।
मध्य प्रदेश कांग्रेस की मांगें:
- सभी प्रभावित गांवों में तत्काल राजस्व टीम भेजकर पारदर्शी सर्वेक्षण किया जाए।
- जिन परिवारों के घर टूटे हैं, उन्हें पुनर्वास और राहत शिविर की सुविधा दी जाए।
- प्रभावित किसानों को कर्जमाफी और अगली फसल के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाए।
- राजस्व पुस्तक परिपत्र की धारा 6-4 में संशोधन कर हल्का पटवारी की जगह खेत को ईकाई मानकर सर्वे कराया जाए ताकि किसानों को न्यायोचित मुआवजा एवं राहत राशि मिल सके।
श्री नायक ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन शीघ्र कार्रवाई नहीं करता, तो कांग्रेस पार्टी जनहित में आंदोलन के लिए बाध्य होगी। उन्होंने कहा, "किसानों को पुनः बुवाई के लिए अतिरिक्त लागत वहन करनी पड़ रही है। सरकार को सहानुभूति दिखाते हुए तत्काल राहत और मुआवजा सुनिश्चित करना चाहिए ताकि किसान अपनी फसल की तैयारी पुनः शुरू कर सकें।"