Madhya Pradesh की रानी मछली कुपोषण और अकाल मृत्यु का शिकार, आबादी 1% रह गई

मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट है, मध्य प्रदेश टूरिज्म स्टेट है, मध्य प्रदेश एलीफेंट स्टेट बनने जा रहा है, मध्य प्रदेश नदियों का मायका है लेकिन अपने ही मायके में नदियों और उसमें रहने वाले जलीय जीवों को इतना प्रताड़ित किया जा रहा है कि उनका अस्तित्व भी समाप्त होता जा रहा है। मध्य प्रदेश की राजकीय मछली का अस्तित्व समाप्त होने वाला है। 2011 में नर्मदा नदी में इसकी आबादी 20% थी आज सिर्फ एक प्रतिशत रह गई है, और नर्मदा विकास प्राधिकरण के अंदर इस विषय में चिंता की स्थिति तो दूर की बात, जानकारी तक नहीं है। 

Madhya Pradesh की स्टेट फिश की पूरी जानकारी 

मध्य प्रदेश की राजकीय मछली महाशीर (Tor Tor) है। इसे 2011 में "MP STATE FISH" घोषित किया गया था। महाशीर मछली की विशेषताएं:
वैज्ञानिक नाम: इसका वैज्ञानिक नाम Tor Tor है।
प्रजाति: यह साइप्रिनिड (cyprinid) प्रजाति से संबंधित है, जो कार्प परिवार की मछलियाँ होती हैं।
निवास: यह मुख्य रूप से नर्मदा नदी में पाई जाती है, जिसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह हिमालय से निकलने वाली नदियों और अन्य नदियों जैसे केन, बेतवा, ताप्ती और चंबल में भी पाई जाती है।

महाशीर मछली का महत्व:

  • यह भारत की एक विश्व प्रसिद्ध, उत्कृष्ट गेम और खाद्य मछली है।
  • यह प्रदूषण को रोकने और पानी को स्वच्छ रखने में मदद करती है।
  • इसे मीठे पानी की सबसे मजबूत खेल मछली (sport fish) में से एक माना जाता है।
2011 में महाशीर मछली की अधिकतम लंबाई 150 सेमी (लगभग 5 फीट) तक रिकॉर्ड की गई थी परंतु नर्मदा नदी इतनी निर्मल और पवित्र थी कि यहां पर रहने वाली महाशीर मछली की लंबाई 7 फीट हुआ करती थी।

महाशीर मछली का वजन आमतौर पर 7 से 8 किलोग्राम तक होता है, लेकिन 2011 में नर्मदा नदी में लाखों मछलियों का वजन 40 किलो से ज्यादा था। कुछ मछलियों का वजन 50 किलो तक दर्ज किया गया है। हालांकि नर्मदा नदी के अलावा हिमालय क्षेत्र में रिकॉर्ड किए गए कुछ बड़े नमूनों का वजन 90 किलोग्राम तक भी बताया गया है।

7 फुट 40 किलो की मछली, 2 फुट 4 किलो की रह गई

2011 से 2025 के बीच, नर्मदा नदी में मिलने वाली 7 फुट 40 किलो की महाशीर मछली अब केवल 2 फुट 4 किलो की रह गई है। यदि किसी वोट बैंक वाली जाति के बच्चों के साथ यह स्थिति बनी होती तो आज मध्य प्रदेश की विधानसभा में भूकंप जैसा कंपन महसूस होता है। नर्मदा में इसकी आबादी 20% थी अब केवल 1% रह गई है। यदि किसी क्षेत्र में यह स्थिति हिंदुओं की हो जाती तो लोग त्रिशूल लेकर सड़कों पर उतर आते, परंतु यह सब कुछ नर्मदा नदी और महाशीर मछली के साथ हो रहा है। इसके संरक्षण से वोट नहीं मिलते, अलबत्ता नर्मदा नदी और महाशीर मछली को खत्म करने से कुछ लाभ जरूर होता है। 

महाशीर मछली की ऐसी हालत क्यों हुई, डॉ. सोना दुबे ने बताया

  • अवैध रेत खनन से नर्मदा नदी में महाशीर के प्रजनन के लिए ब्रीडिंग बाउंड नष्ट हो रहे हैं। बच्चे पैदा होने से पहले ही मर जाते हैं।
  • महाशीर साफ पानी की मछली है, वह नदी को प्रदूषण से मुक्त करती है परंतु नर्मदा में इतनी अधिक मात्रा में अपशिष्टों को मिलाया जा रहा है कि महाशीर मछली ही खत्म हो रही है।
  • मछली पकड़ने वालों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। कोई नियम और गाइडलाइन भी नहीं है। और फिर मछली खाने वालों को भी तो राजकीय मछली खाने में आनंद आता है।
  • नर्मदा नदी पर डैम और बैराज की वजह से यह मछली नदी के प्रदूषण क्षेत्र से दूसरी तरफ पलायन नहीं कर पाती और मर जाती है।
  • प्राकृतिक रूप से महाशीर मछली के प्रजनन के लिए रेत, छोटे कंकड़, युक्त चट्टान और पर्याप्त ऑक्सीजन पानी जरूरी होता है। लगातार खनन से यह वातावरण नष्ट हो गया है।
डॉ. सोना दुबे, फिशरी कॉलेज की एसो. प्रोफेसर हैं। 

रिसर्चर प्रतीक कुमार तिवारी

College Of Fishery Science in Adhartal,Jabalpur के रिसर्चर प्रतीक कुमार तिवारी के अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। शोधार्थी प्रतीक तिवारी ने 'Study on the breeding ground of Mahseer in Narmada River of Jabalpur District' विषय पर गाइड डॉ. श्रीपर्णा सक्सेना के निर्देशन में नर्मदा के चार घाटों-गौरीघाट, तिलवारा, लम्हेटा और भेड़ाघाट में शोध कार्य किया। प्रतीक ने जबलपुर के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री हर्षित चौरसिया को बताया कि शोध के लिए इन चारों तटों के 25 किमी के क्षेत्र में स्टडी की गई। इस दौरान 25 से अधिक मछुआरों से जानकारी जुटाई गई। इसमें यह बात सामने आई है कि इन चारों तटों पर महाशीर अब भी ब्रीडिंग कर रही है, लेकिन उनकी लंबाई और वजन तेजी से घट रहा है। 

किसने कहा, नर्मदा की महाशीर मछली 7 फुट 40 किलो की थी 

डॉ. एसके महाजन, डीन फिशरी साइंस कॉलेज, जबलपुर का कहना है कि, 30 साल पहले तक महाशीर की लंबाई 7 फीट तक और वजन 40 किलो तक होता था। नर्मदा में अवैध रेत खनन से इनके रहने का प्राकृतिक वातावरण नष्ट हो गया है। पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है, इससे लंबाई घटकर डेढ़ से 2 फीट और वजन करीब 3-4 किलो तक आ गया है। 

धम्मीलाल बर्मन, मछुआरा लम्हेटाघाट, जबलपुर बताते हैं कि, करीब 20 साल पहले मैं जब मछली पकड़ने जाता था, तो 5-6 फीट लंबी और 25-35 किलो वजनी महाशीर मिलती थी। अब इसकी उपलब्धता न के बराबर है। वजन भी करीब दो से तीन किलो और लंबाई एक से दो फीट तक रह गई है। 
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