Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 की धारा 152 के अंतर्गत, यदि किसी व्यक्ति की संपत्ति के कारण सार्वजनिक स्थान में बाधा उत्पन्न हो रही है, तो कार्यकारी मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को बुलाता है। यदि वह व्यक्ति स्वीकार करता है कि जिस स्थान से लोगों को परेशानी हो रही है, वह लोक-अधिकार (public rights) में नहीं, बल्कि उसका निजी स्थान (private location) है - उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति ने मकान बनाने के लिए खाली स्थान पर गिट्टी, पत्थर, रोड़ा आदि रख दिए, जिसके कारण लोगों को बाधा (barrier) उत्पन्न हो रही है, तो वह व्यक्ति कह सकता है कि उपर्युक्त सामान उसकी स्वयं की निजी (own personal) भूमि पर रखा गया है। ऐसी स्थिति में कार्यकारी मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है, जानिए।
Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 की धारा 156 की परिभाषा:
1. यदि कोई व्यक्ति कार्यकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होकर साक्ष्य प्रस्तुत करता है कि कोई मार्ग, नदी, जलसरणी या स्थान, जिसके कारण लोक बाधा उत्पन्न हो रही है, उसका निजी स्थान है और यह किसी भी प्रकार से लोगों के अधिकार (people's rights) में नहीं आता, तो मजिस्ट्रेट उस स्थान की जांच करवा सकता है।
2. यदि जांच में यह पता चलता है कि व्यक्ति द्वारा कही गई बात सत्य है, तो कार्यकारी मजिस्ट्रेट ऐसी कार्यवाही को रोक देगा और मामले को सिविल कोर्ट भेज देगा। जब तक सिविल कोर्ट कोई आदेश नहीं देता, तब तक कोई आगे की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
3. यदि व्यक्ति किसी स्थान को लोगों के अधिकार (people's rights) में मानने से इनकार करता है और अपने पक्ष में कोई विश्वसनीय (reliable) साक्ष्य पेश कर पाता है, तो उसके द्वारा दिया गया बयान वही माना जाएगा जो पहले कहा गया था। बाद में इसे बदलने का उसे कोई अधिकार नहीं होगा।