JABALPUR महिला प्रोफेसर की मौत, हत्या नहीं आत्महत्या, डॉक्टर का दावा, हाल ही में ट्रांसफर हुआ था

जबलपुर/  होम साइंस कॉलेज की बॉटनी की प्रोफेसर प्रज्ञा अग्रवाल (57) का शव शुक्रवार सुबह अंबर विहार कॉलोनी स्थित घर में खून से सना मिला था। घटना के 24 घंटे बाद आई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डॉक्टर अभिषेक ने दावा किया है कि प्रो. प्रज्ञा ने सुसाइड किया था। हालांकि मौके पर सुसाइड नोट नहीं मिला है और किसी अन्य व्यक्ति को भी आत्महत्या कोई कारण  समझ नहीं आ रहा है। उनकी लाइफ में बस इतना सा बदला था कि हाल ही में उनका ट्रांसफर हो गया था। प्रोफेसर प्रज्ञा का शव सबसे पहले मेड ने देखा और पड़ोसियों सहित पुलिस को सूचना दी थी। हाथ-गले पर कट के निशान किसी गंभीर अपराध की ओर इशारा कर रहे थे।

हम आत्महत्या करने का तरीका बताने वाले डॉ. अभिषेक की निंदा करते हैं

जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ. अभिषेक ने अपने दावे को सही प्रमाणित करने के लिए पत्रकारो को आत्महत्या करने का तरीका विस्तारपूर्वक बताया। अति उत्साही और सबसे पहले ब्रैकिंग करने की दौड़ में शामिल पत्रकार डॉ अभिषेक द्वारा बताए गए आत्महत्या के तरीके को, अपने पाठकों और दर्शकों को विस्तार पूर्वक बताएंगे। हम नहीं चाहते कि लोग इस तरीके को सीख जाएं इसलिए प्रकाशित नहीं कर रहे हैं। हम आत्महत्या करने का तरीका बताने वाले डॉ. अभिषेक की निंदा करते हैं। पत्रकारिता के लिए ना तो कोई अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता होती है और ना ही ट्रेनिंग पर डॉक्टर बनने के लिए दोनों होती है। इसलिए डॉ अभिषेक को ध्यान रखना चाहिए था कि क्या बताना है और क्या नहीं। 

एक्सीलेंस कॉलेज के डायरेक्टर एवं प्रज्ञा के भाई का बयान

घटना की जानकारी लगते ही शुक्रवार को भोपाल से जबलपुर पहुंचे प्रो. प्रज्ञा अग्रवाल के छोटे भाई प्रज्ञेश अग्रवाल ने बताया कि दो दिन पहले ही फोन पर बात हुई थी। उस समय बात करने से ऐसा नहीं लगा कि वह इस तरह का कदम उठा सकती हैं। प्रज्ञेश ने बताया कि वह अक्सर बड़ी बहन से मिलने के लिए जबलपुर आते थे। कुछ दिनों बाद दीदी भी भोपाल आने की बात कह रही थीं। प्रज्ञेश भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज के डायरेक्टर हैं।

टीचर, छात्र और पड़ोसियों से हुई पूछताछ

सीएसपी आशीष जैन ने बताया कि होम साइंस कॉलेज के टीचर, छात्र और पड़ोसियों सहित एक दर्जन से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है। सभी का कहना था कि प्रो. प्रज्ञा जिंदादिल और खुशमिजाज महिला थीं। कॉलेज प्रशासन का कहता है कि नेक एक्रीडेशन का पूरा काम वही संभालती थीं। उनकी सबसे बड़ी भूमिका थी, जिसे वे कुशलता से निभाती थीं।

पुश्तैनी घर की मरम्मत कराकर ठीक कराना था

पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि प्रो. प्रज्ञा अग्रवाल कॉलेज के काम में इतना व्यस्त रहती थीं कि घर का काम भी नहीं करवा पा रही थीं। वह बार-बार कहती थीं कि जल्दी ही नैक और कॉलेज का काम हो जाए, फिर अपने माता-पिता के पुश्तैनी मकान का पुनर्निर्माण कराऊंगी। इस मकान से उनकी बचपन की यादें जुड़ी थीं, इसलिए वह इसी में रहना चाहती थीं।

पुलिस के लिए आत्महत्या की वजह तलाशना चुनौती

सीएसपी आशीष जैन का कहना है कि पीएम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रो. प्रज्ञा ने खुद का हाथ और गला काटकर आत्महत्या की है। अब पुलिस के लिए सुसाइड की वजह तलाश करना चुनौती है। अभी तक परिवार, कॉलेज और पड़ोस में रहने वालों के अलावा घर पर काम करने वाली मेड से भी पूछताछ की गई है और आगे की जांच जारी है। एफएसएल टीम को शव के पास से एक चाकू मिला है, जो घर के काम में इस्तेमाल किया जाता है।

जबलपुर से दमोह हुआ था प्रज्ञा का ट्रांसफर

प्रो. प्रज्ञा अविवाहित थीं और होम साइंस कॉलेज में वनस्पति शास्त्र पढ़ाती थीं। हाल ही में उनका ट्रांसफर जबलपुर से दमोह हुआ था। वो घर में अकेली रहती थीं। आसपास के कुछ लोग कभी-कभी उनसे मिलने आया करते थे।

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