Chinese University of Hong Kong के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक डेवलप की है, जिसके माध्यम से, चंद्रमा की मिट्टी से पानी निकाल कर उसे ऑक्सीजन और केमिकल फ्यूल में बदला जा सकता है। उल्लेखनीय है कि भारत ने सबसे पहले चंद्रयान-1 (2008) के माध्यम से इस बात को प्रमाण सहित प्रस्तुत किया था कि चंद्रमा की सतह पर पानी है। 2020 में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने इसकी पुष्टि की थी।
चंद्रमा पर जीवन की संभावना की दिशा में बड़ा कदम
Cell Press journal Joule में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट केअनुसार यह टेक्नोलॉजी चंद्रमा पर मानव जीवन को सरल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। आज की तारीख में यदि पृथ्वी से चंद्रमा पर पीने का पानी भेजना चाहे तो उसे रॉकेट के माध्यम से भेजना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में एक गैलन (3.78 लीटर) पानी को चंद्रमा तक पहुंचने में 83000 डॉलर का खर्चा आएगा। यूनिवर्सिटी द्वारा डेवलप की गई इस नई टेक्नोलॉजी से चंद्रमा पर पानी बनाया जा सकेगा और इसका खर्चा रॉकेट की तुलना में बहुत कम आएगा। ख्य शोधकर्ता लू वांग ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि चंद्रमा की मिट्टी में इतना ‘जादू’ हो सकता है।”
हालांकि प्रकाशित हुए अध्ययन में कई प्रश्नों के उत्तर उपलब्ध नहीं है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि जो टेक्नोलॉजी पृथ्वी पर काम कर रही है क्या वह चंद्रमा पर भी काम करेगी। लेकिन फिर भी यह तकनीकी एक नई संभावना को जन्म देती है और इस दिशा में और अधिक अध्ययन करने के लिए प्रेरित करती है।