CM Sir, कृपया ध्यान दीजिए कि MPESB, DPI और MP Board मिलकर कौन सी खिचड़ी पका रहे हैं - Khula Khat

मध्य प्रदेश में कोई भी भर्ती प्रक्रिया जब तक न्यूज़ की हेडलाइन नहीं बन जाए, तब तक पूरी नहीं होती। हाल ही में मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक वर्ग 3 एवं प्राथमिक विज्ञान शिक्षक वर्ग 3 के रिक्त पदों के लिए भर्ती हेतु विज्ञापन जारी किया गया है। इस भर्ती प्रक्रिया में आए दिन नई समस्याएं सामने आ रही हैं। मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक भर्ती वर्ग 3 से जुड़ी अन्य समस्याओं को पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक करें:  
प्राथमिक शिक्षक भर्ती में DEd विशेष शिक्षा वालों को ब्लॉक कर दिया
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कभी गलती मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की है, तो कभी लोक शिक्षण संचालनालय की, तो कभी एमपी बोर्ड की। तो यहां यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि "ऊंट के गले में ऊंट बांधना" मुहावरे को हर दिन चरितार्थ किया जा रहा है। कोई भी अपनी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है और ऐसे में नुकसान सिर्फ अभ्यर्थियों का ही हो रहा है।  

MPESB, DPI, MP Board तीनों में से असली कौन, जाली कौन, पता नहीं चल रहा

जब अभ्यर्थी परेशान होकर अपनी समस्याओं को लेकर मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल में जाते हैं, तो वहां उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि यह तो विभाग का आदेश है और हमें DPI ने जो निर्देश दिए हैं, हम उनका पालन कर रहे हैं। जब अभ्यर्थी लोक शिक्षण संचालनालय के दरवाजे पर जाते हैं, तो उन्हें यह कह दिया जाता है कि यह तो एमपी बोर्ड का काम है। कुल मिलाकर अभ्यर्थियों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं होता, जिसके कारण उन्हें फिर नेता प्रतिपक्ष के दरवाजे पर जाना पड़ता है। कभी धरना-प्रदर्शन करना पड़ता है, तो कभी रैली निकालनी पड़ती है, कभी कोर्ट में केस करना पड़ता है। परंतु इस सबके बावजूद भी नतीजा कुछ नहीं निकलता। मध्य प्रदेश में यह कोई पहली भर्ती प्रक्रिया नहीं है, जिसमें यह सब हो रहा है। यह तो मध्य प्रदेश में आम बात है, क्योंकि मध्य प्रदेश वह राज्य है, जहां पहले तो भर्ती विज्ञापन जारी नहीं होता और यदि गलती से जारी हो भी गया, तो मध्य में अटक जाता है। कभी परीक्षा नहीं होती, तो कभी रिजल्ट नहीं आता। रिजल्ट आ जाए, तो नियुक्ति मध्य में अटक जाती है।  

Candidate's Point of View 

आखिर हैरान-परेशान अभ्यर्थी अपनी पढ़ाई पर फोकस करें या रोज रैली में शामिल हों या कोर्ट केस करें? कभी कोई कोचिंग संचालक, तो कभी कोई वकील उनकी परेशानियों का फायदा उठाकर उनसे अच्छी-खासी फीस वसूल लेते हैं। यानी कि कैंडिडेट को एक भर्ती विज्ञापन पर परीक्षा फीस, कोचिंग की फीस, वकील की फीस देनी पड़ती है। समय से परीक्षा न हो, तो उसके लिए भटकना पड़ता है। परीक्षा हो जाए, तो रिजल्ट के लिए भटकना पड़ता है। रिजल्ट आ जाए, तो नियुक्ति के लिए भटकना पड़ता है।  
कुल मिलाकर एक भर्ती प्रक्रिया के बहुत सारे अनगिनत चरण होते हैं और अनगिनत बार फीस वसूली जाती है, जबकि इस प्रक्रिया में शामिल होने वाले सभी लोग ऐसे बेरोजगार होते हैं, जो किसी न किसी रूप में किसी न किसी पर आश्रित होते हैं।  

माननीय मुख्यमंत्री जी से विनम्र निवेदन  

यदि माननीय मुख्यमंत्री जी मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए नियमों की एक बार समीक्षा करें, क्योंकि ऐसा न हो कि इतने कठोर नियमों के चलते योग्य अभ्यर्थी आवेदन ही न कर पाएं।  
निवेदक: मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक एवं प्राथमिक शिक्षक (विज्ञान) चयन परीक्षा 2025 की तैयारी करने वाले समस्त अभ्यर्थी  

अस्वीकरण: खुला खत एक ओपन प्लेटफॉर्म है। यहां मध्य प्रदेश के सभी जागरूक नागरिक सरकारी नीतियों की समीक्षा करते हैं, सुझाव देते हैं, और समस्याओं की जानकारी देते हैं। पत्र लेखक के विचार उसके निजी हैं। यदि आपके पास भी कुछ ऐसा है, जो मध्य प्रदेश के हित में हो, तो कृपया लिख भेजें। हमारा ई-मेल पता है: editorbhopalsamachar@gmail.com
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