फतेहपुर सीकरी के प्रसिद्ध बुलंद दरवाजा की नकल करके पुराने भोपाल में बनाया गया बुलंद दरवाजा, डेढ़ सौ साल भी नहीं चल पाया। कमजोर हो गया है और उसका प्लास्टर गिरने लगा है। उल्लेखनीय है कि, दुनिया के महान नामों की कॉपी करना। अफगानी सुपारी किलर और उसके परिवार की पुरानी आदत है। वह खुद को "मोहम्मद दोस्त खान" बताता था, ताकि जो लोग नहीं जानते, उन्हें लगे कि वही अफगानिस्तान का प्रसिद्ध शासक "दोस्त मोहम्मद खान" है।
नकली तो नकली होता है
आपको तो मालूम ही है। भोपाल के बड़े तालाब की पाल (बाउंड्री वॉल) इतनी मजबूत थी, कि होशंगशाह को उसे तोड़ने में 1 साल लग गया था। भोजपुर गांव में स्थित भोजेश्वर शिव मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया था, आज तक शान से खड़ा है। लेकिन 2-5 सौ साल पहले खुद को जबरदस्ती भोपाल का नवाब घोषित करने वालों ने जितने भी ऐतिहासिक निर्माण करवाएं वह जर्जर होते चले जा रहे हैं।
धरोहर नहीं कलंक है
कुछ लोग, भोपाल को धोखे से हड़पने वाले मोहम्मद दोस्त खान और उसके परिवार वालों द्वारा बनवाए गए निर्माण कार्यों को भोपाल की धरोहर कहते हैं। असल में यह भोपाल की धरोहर नहीं बल्कि भोपाल के लिए कलंक है। राजा निज़ाम शाह भोपाल का गौरव है। रानी कमलापति, भोपाल का सौंदर्य हैं और "नवल शाह" भोपाल का बलिदान है। गोंड राजा की यादें भोपाल की धरोहर हैं। भोपाल की पहचान 6 करोड़ साल पुरानी पांच पहाड़ियों (अरेरा हिल्स, श्यामला हिल्स, ईदगाह हिल्स, कटारा हिल्स और द्रोणाचल नेवरी हिल्स) से होती है। "तालाब की पाल" भोपाल की धरोहर है। जिसके कारण भोपाल का तालाब अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है। 2-5 सौ साल पहले हुए घटिया निर्माण को भोपाल की धरोहर नहीं कहा जा सकता।