मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मुख्य रेलवे स्टेशन (BHOPAL JUNCTION) परिसर में स्थित पोस्ट ऑफिस में जाने वाले उपभोक्ताओं से रेलवे का पार्किंग ठेकेदार, पार्किंग शुल्क ले सकता है या नहीं? यह प्रश्न आप कानूनी बहस का मुद्दा बन गया है। DRM का कहना है की पार्किंग शुल्क लेना ठेकेदार का अधिकार है परंतु एक उपभोक्ता ने कानून की चार किताबें खोलकर रख दी हैं। उपभोक्ता का कहना है कि न केवल अवैध है बल्कि अपराध भी है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है जो आम जनता के हितों से जुड़ा है। कृपया पूरा मामला ध्यानपूर्वक पढ़िए और अपने ओपिनियन के साथ इस मुद्दे को शेयर भी कीजिए।
Rizwan Aarif की शिकायत
दिनांक 24 जुलाई 2025 को रिजवान आरिफ (X- @rizwanaarifbpl) ने DRM BHOPAL (@BhopalDivision) को एक शिकायत की। जिसमें रिजवान ने बताया कि, भोपाल स्टेशन प्लेटफॉर्म 1 के अंदर स्थित पोस्ट ऑफिस में यदि कोई व्यक्ति सिर्फ डाकघर के कार्य से आता है और वाहन वहीं खड़ा करता है, तब भी रेलवे पार्किंग ठेकेदार जबरन शुल्क वसूल रहा है। यह अनुचित व अवैध है। कृपया जांच करें। रिजवान ने Bhopal Samachar (@BhopalSamachar) को ध्यानाकर्षण हेतु Tag किया।
शिकायत पर कार्रवाई शुरू हुई
जवाब में डीआरएम भोपाल ने बताया कि, महोदय आपकी शिकायत को रेल मदद के (2025072405322) माध्यम से देखा जा रहा है। कुछ देर बाद रिजवान ने डीआरएम भोपाल को बताया कि, अभी आपके कार्यालय से कॉल आया, जिसमें कहा गया कि इस मामले में कुछ नहीं किया जा सकता। कॉल 0755-2475757 नंबर से था। कहा गया कि पोस्ट ऑफिस के सामने नो पार्किंग है, जबकि वहाँ ऐसा कोई बोर्ड नहीं लगा है। इस तरह से लग रहा है कि सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति कर शिकायत को बंद किया जा रहा है।
पार्किंग चार्ज तो देना पड़ेगा, यही हमारी पॉलिसी है: रेल मंत्रालय
शिकायत को क्लोज करते हुए Ministry of Railways की सपोर्ट सेवा Railway Seva (@RailwaySeva) द्वारा कहा गया कि, This is to inform you that the post office is located within railway premises, and as per the parking contract policy, the area falls under the designated parking zone. Hence, applicable parking charges are mandatory.
हिंदी अनुवाद: आपको सूचित किया जाता है कि डाकघर रेलवे परिसर में स्थित है और पार्किंग अनुबंध नीति के अनुसार, यह क्षेत्र निर्दिष्ट पार्किंग क्षेत्र में आता है। इसलिए, लागू पार्किंग शुल्क अनिवार्य है।
प्रतिक्रिया में उपभोक्ता रिजवान ने कहा कि आपकी नीति उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन करती है और मैं अपने संवैधानिक अधिकार के लिए, आपकी नीतू को कानूनी रूप से चुनौती दूंगा।
उपभोक्ता रिजवान द्वारा इस पूरी प्रक्रिया में
भोपाल समाचार को शामिल (Tag) रखा। जब रेल मंत्रालय की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि यही हमारी पॉलिसी है और उपभोक्ता रिजवान आरिफ द्वारा यह घोषित किया गया कि वह, रेलवे की इस पॉलिसी को चैलेंज करने वाले हैं, तब भोपाल समाचार ने पूछा कि, वह कौन सा कानून है जो एक उपभोक्ता को रेलवे परिसर के अंदर स्थित पोस्ट ऑफिस में फ्री पार्किंग का अधिकार देता है। कृपया ध्यान से पढ़िए रिजवान आरिफ ने क्या जवाब दिया:-
इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट 1872 - सेक्शन 23
जो कॉन्ट्रैक्ट जनता की भलाई (Public Policy) के खिलाफ हो या अन्यायपूर्ण हो, वो अमान्य (Void) होता है। सरकारी सेवा (जैसे पोस्ट ऑफिस) तक पहुँच पर ज़बरन पार्किंग शुल्क लेना एक अनुचित समझौता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
ज़बरन या भ्रामक तरीके से पैसे वसूलना = अनुचित व्यापार प्रथा है। पोस्ट ऑफिस आने वाला व्यक्ति पोस्ट ऑफिस का उपभोक्ता है, रेलवे का नहीं। रेलवे या ठेकेदार अगर गलत चार्ज ले, तो शिकायत का पूरा अधिकार है।
संविधान: अनुच्छेद 19(1)(d)
आम नागरिक को किसी भी सरकारी ऑफिस में प्रवेश पर शुल्क लगाना, नागरिक की आवाजाही की स्वतंत्रता पर रोक है। ये अधिकार हमें संविधान ने दिया है, ठेकेदार नहीं!
भारतीय डाक अधिनियम, 1898
पोस्ट ऑफिस एक संप्रभु सरकारी सेवा है। हर नागरिक को वहाँ नि:शुल्क और निर्बाध पहुँच का अधिकार है। कोई भी निजी एजेंसी या ठेकेदार बिना सरकारी आदेश के रुकावट या शुल्क नहीं लगा सकता।
रिजवान की दलीलों में कितना दम है
दलील में दम है। रेल मंत्रालय केवल अपने उपभोक्ताओं से किसी भी प्रकार के शुक्ल का निर्धारण कर सकता है। डाक विभाग रेल मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आता। वह डाकघर में आने वाले लोगों से किसी भी प्रकार का शुल्क वसूल करने का अधिकार नहीं रखता।
रेल मंत्रालय ने कहा कि डाकघर रेलवे परिसर के अंदर है इसलिए परिसर में आने वाले वाहन चालकों से पार्किंग शुल्क लेना हमारी नीति है और हमारे ठेकेदार का अधिकार भी है। लेकिन यह दलील गलत है। यदि डाकघर रेलवे परिसर के अंदर है तो यह दोनों विभागों के बीच का अनुबंध है। इसके लिए रेलवे, डाक विभाग से किराया तो ले सकता है परंतु उसके उपभोक्ताओं से पार्किंग शुल्क नहीं ले सकता।
जबकि होना यह चाहिए कि, रेलवे ने जब अपने परिसर में डाकघर के लिए स्थान दिया है तो वहां तक आने-जाने के लिए मार्ग भी देना चाहिए। यदि रेलवे ने डाकघर तक आने-जाने के लिए कोई मार्ग नहीं दिया है तो यह भारतीय डाक अधिनियम 1898 का उल्लंघन है। और डाक विभाग के अलावा डाक विभाग का उपभोक्ता सरकारी सेवा तक अपनी पहुंच के संवैधानिक अधिकार हेतु सक्षम न्यायालय के समक्ष न्याय की मांग कर सकता है। इस मामले के आरोपियों में पार्किंग के ठेकेदार के अलावा रेलवे के वह अधिकारी भी शामिल होंगे, जिन्होंने पार्किंग के ठेकेदार को इस प्रकार का अधिकार देने वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं।
यदि ठेकेदार के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत अवैध वसूली का मामला दर्ज करवाया जा सकता है।