राजेश जयंत - आलीराजपुर की शाही रियासत की करीब 1000 करोड़ रुपये की पुश्तैनी संपत्तियों को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। महाराजा प्रताप सिंह के परपोते उदयभान सिंह राठौर और चंद्रभान सिंह राठौर ने जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायालय आलीराजपुर में फर्जी वसीयत को रद्द करने और संपत्ति में अपना हिस्सा व कब्जा दिलाने के लिए दावा पेश किया है। यह दावा पंजीकरण क्रमांक 21/2025, दिनांक 19 जून 2025 को दर्ज हुआ है, जिसमें 10 लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है।
उदयभान सिंह राठौर और चंद्रभान सिंह राठौर की दलील
आरोप है कि श्रीमंत कमलेंद्र सिंह के निधन के बाद, उनके नाम पर फर्जी वसीयत तैयार कर राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से संपत्तियों का नामांतरण कर दिया गया। इसमें आलीराजपुर के ऐतिहासिक फतेह क्लब और राजवाड़ा पैलेस जैसी धरोहरें भी शामिल हैं। वसीयत की तारीख 3 अगस्त 2022 बताई गई है, जबकि कमलेंद्र सिंह लंबे समय से बीमार थे। परिजनों का कहना है कि जब परिवार के दर्जनों सदस्य जीवित हैं, तो अकेले किसी एक व्यक्ति को 600 साल पुरानी संपत्ति का उत्तराधिकारी कैसे बनाया जा सकता है।
परिजनों ने फर्जी वसीयत के खिलाफ तहसील न्यायालय में 300 पेज के दस्तावेज और दर्जनों आपत्तियां भी पेश की थीं, लेकिन आरोप है कि रिश्वत और दबाव के चलते सिर्फ 16 दिन में नामांतरण आदेश जारी कर दिया गया। अब इस मामले में आलीराजपुर कोर्ट में फर्जी वसीयत बनाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज कराने की अर्जी भी दी गई है और प्रतिवादियों को नोटिस जारी हो चुके हैं।
फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर हाई कोर्ट की डबल बेंच, कमिश्नर कोर्ट और अन्य अदालतों में भी चार से ज्यादा मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं। परिजनों का कहना है कि अगर निष्पक्ष जांच और न्याय हुआ, तो सभी दोषी एक साथ कटघरे में खड़े होंगे। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है।
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