UNION BANK OF INDIA - खाताधारक को पता ही नहीं चला, चेक बुक जारी हुई और RTGS भी हो गया

ऐसे किसी भी बैंक में खाता खुलवाने खतरे से खाली नहीं है जो अपने खाताधारक की सुरक्षा नहीं कर सकता है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन बैंक आफ इंडिया ने एक व्यापारी के नाम की चेक बुक किसी दूसरे व्यक्ति को दे दी। RTGS के लिए चेक बैंक में आया तो व्यापारी को फोन लगाया लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ तो RTGS क्लियर कर दिया। अब पुलिस इंक्वारी चल रही है। 

मामले का संक्षिप्त विवरण

भोपाल के गौतम नगर पुलिस थाना क्षेत्र में कुलदीप परलानी नाम के एक युवा व्यापारी हैं। उम्र 35 वर्ष है। गौरव इंटरप्राइजेज के नाम से उनकी बिजनेस फर्म है। उन्होंने गौतम नगर पुलिस को अपनी शिकायत में बताया कि, किसी व्यक्ति ने उनके अकाउंट की चेक बुक, बैंक से हासिल कर ली और फिर चेक का इस्तेमाल करके 3.81 लाख रुपए का आरटीजीएस कर लिया। कुलदीप ने बताया कि, RTGS के समय उन्हें बैंक की तरफ से कोई अलर्ट नहीं मिला। इसके जवाब में बैंक ने कहा कि, आपको कॉल किया गया था परंतु आपकी मोबाइल से ब्लॉक हो गई, इसलिए आपसे संपर्क नहीं हो पाया। 

MORAL OF THE NEWS

इस मामले में पुलिस अपराधी की तलाश कर रही है परंतु यूनियन बैंक आफ इंडिया के सिस्टम की गड़बड़ी, इस प्रकार की अपराध का बड़ा कारण है। यदि किसी भी खाताधारक के नाम से चेक बुक जारी की जाती है तो वह रजिस्टर्ड डाक से उसके रजिस्टर्ड पते पर भेजी जाती है। या फिर उसे ब्रांच से आकर कलेक्ट करना होता है। यहां कंफर्म किया जाता है कि जिस व्यक्ति को चेक बुक दी जा रही है, वही खाताधारक है। RTGS के मामले में भी ऐसा ही होता है। खाताधारक को ब्रांच में स्वयं उपस्थित होना होता है। जब तक खाताधारक स्वयं उपस्थित नहीं होता RTGS नहीं किया जा सकता है। यदि कोई दूसरा व्यक्ति किसी चेक का इस्तेमाल कर रहा है तो हस्ताक्षर के मिलान में गड़बड़ी होनी चाहिए। यह गड़बड़ी पकड़ना बैंक का काम है। सबसे बड़ी बात यह है कि, यदि खाता धारक से किसी भी प्रकार का संपर्क नहीं हो पा रहा है तो RTGS नहीं किया जाना चाहिए। जबकि यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया ने 3.80 लाख  रुपए ट्रांसफर कर दिया। 

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