मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोनावायरस से संक्रमित एक गर्भवती महिला की मृत्यु हो गई। डिलीवरी के दौरान अचानक उसे सांस लेने में तकलीफ हुई और मौजूद डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा पाए। मध्य प्रदेश में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या कम है लेकिन स्थिति गंभीर है।
Intubation के बाद भी सांस नहीं ले पाई
यह घटना खरगोन जिले की 45 वर्षीय महिला के साथ हुई, जो इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती थी। महिला 9 महीने की गर्भवती थी और उसकी डिलीवरी के दौरान सांस लेने में तकलीफ के चलते मौत हुई। गुरुवार को, सिजेरियन डिलीवरी (LSCS) के ऑपरेशन के दौरान महिला को अचानक दौरे पड़ने लगे। उसकी बिगड़ती हालत को देखते हुए, उसे तुरंत सांस लेने में मदद देने वाली मशीन (इंट्यूबेशन) पर रखा गया। हालांकि, उसकी स्थिति लगातार गंभीर होती गई और उसकी मौत हो गई। बाद में जब उसकी कोरोना RT-PCR जांच रिपोर्ट आई, तो वह पॉजिटिव पाई गई।
सरकारी ढर्रा निराशाजनक
इंदौर के जिला स्वास्थ्य विभाग ने महिला की मौत का मुख्य कारण कोरोना संक्रमण नहीं, बल्कि सिजेरियन डिलीवरी के दौरान आईं जटिलताओं को बताया है। सरकारी डॉक्टरों का यह ढर्रा निराशाजनक और तनाव बढ़ने वाला है। इंदौर के सरकारी डॉक्टरों ने बिना किसी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के, नेताओं जैसा बयान दे दिया है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में, मध्य प्रदेश में कोरोना के 3 नए मामले दर्ज किए जाने के बाद कुल संक्रमितों की संख्या 53 हो गई है। वहीं, प्रदेश में सक्रिय मामलों (एक्टिव केस) की संख्या अब 32 है। लेकिन क्या इस संख्या पर विश्वास किया जाना चाहिए जबकि मरीजों की RT-PCR जांच में कंजूसी की जा रही है।
बीमार व्यक्ति यदि कोरोनावायरस संक्रमित हुआ तो मृत्यु?
मध्य प्रदेश में कोरोना से पहली मौत का मामला 21 अप्रैल को इंदौर में ही सामने आया था। उस समय, कोविड संक्रमण के दो नए मामले मिले थे, जिनमें एक युवक और एक बुजुर्ग महिला शामिल थीं। दोनों को शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। दोनों मरीजों को पहले से ही अन्य गंभीर बीमारियां थीं। इनमें से बुजुर्ग महिला की हालत ज्यादा गंभीर थी, और उनकी मृत्यु हो गई थी। यह रिपोर्ट डर पैदा करती है। कोई बीमार व्यक्ति, कोरोनावायरस से संक्रमित हो गया तो क्या उसकी मृत्यु हो जाएगी। या फिर क्या उसे मृत्यु का खतरा रहेगा। क्या सरकारी डॉक्टर पिछली बार की तरह पब्लिक में पैनिक पैदा करना चाहते हैं, ताकि माफिया को लाभ हो सके?
भोपाल में आंकड़ों की बाजीगरी शुरू, बयान में 9 डैशबोर्ड पर तीन
कोविड-19 डैशबोर्ड पर राजधानी भोपाल में तीन कोरोना केस दर्ज थे। सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि भोपाल में कुल तीन नहीं, बल्कि अब तक 9 कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि अप्रैल में 1, मई में 3 और जून में 5 पॉजिटिव केस मिले हैं। वर्तमान में भोपाल में 4 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से एक मरीज अन्य गंभीर बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती है।
इंदौर की स्थिति सबसे गंभीर
इंदौर में इस साल अब तक 38 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। इनमें से 8 मरीज बाहर के हैं। अभी तक जिन लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री मिली है, वे या तो दूसरे शहर, राज्य से लौटे या फिर बाहर से इंदौर आए लोगों के संपर्क में आए थे। इनमें UK, सिंगापुर, गोवा, दिल्ली, केरल, रायपुर, पुणे, मुंबई, अहमदाबाद आदि की हिस्ट्री रही।