प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा Self-Help Groups (SHGs) की महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए देशव्यापी “Ek Ped Maa Ke Naam” अभियान चलाया जा रहा है। इससे प्रेरित होकर मध्य प्रदेश में “Ek Bagiya Maa Ke Naam” परियोजना शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत मध्य प्रदेश की 30000 महिलाओं को लाभान्वित किया जाएगा और प्रत्येक महिला के हिस्से में लगभग 3-3 लाख रुपए आएंगे।
MP Ek Bagiya Maa Ke Naam - महिलाओं को कई साल तक फायदा होता रहेगा
मध्य प्रदेश शासन द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार महिलाओं के Economic Empowerment के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और कई महत्वपूर्ण योजनाएँ संचालित कर रही है। जल गंगा संवर्धन अभियान के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने SHGs की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए एक बड़ी घोषणा की। MGNREGA के माध्यम से “Ek Bagiya Maa Ke Naam” परियोजना के तहत प्रदेश की 30,000 से अधिक SHG की पात्र महिलाओं की निजी भूमि पर 30 लाख से अधिक Fruit-Bearing Trees (फलदार पौधे) लगाए जाएंगे, जो उनकी आर्थिक तरक्की का आधार बनेंगे।
गणना: पौधे और राशि का वितरण
पौधों की गणना: परियोजना के तहत 30 लाख फलदार पौधे 30,000 महिलाओं के बीच वितरित किए जाएंगे। प्रत्येक महिला को 30,00,000 ÷ 30,000 = 100 पौधे मिलेंगे।
राशि की गणना: 1000 करोड़ रुपये की राशि 30,000 महिलाओं के बीच वितरित की जाएगी। प्रत्येक महिला को 1000,00,00,000 ÷ 30,000 = 3,33,333.33 रुपये मिलेंगे।
जमीन की आवश्यकता: 100 फलदार पौधों (Dwarf या Semi-Dwarf Trees, जैसे अमरूद या नींबू) के लिए औसतन 0.1 से 0.2 हेक्टेयर (1,000-2,000 वर्ग मीटर) भूमि की आवश्यकता होगी, जो रोपण शैली और पौधों की प्रजाति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, अमरूद के लिए प्रति पौधा 15 वर्ग मीटर मानकर, 100 पौधों के लिए लगभग 1,500 वर्ग मीटर (0.15 हेक्टेयर) भूमि पर्याप्त होगी।
30,000 एकड़ निजी भूमि पर होगा Plantation
प्रदेश की SHGs की 30,000 से अधिक महिलाओं की 30,000 एकड़ निजी भूमि पर “Ek Bagiya Maa Ke Naam” परियोजना के तहत Plantation किया जाएगा। लगभग 1000 करोड़ रुपये की लागत से Livelihood Enhancement के लिए 30 लाख Horticultural Plants का रोपण कर फलोद्यान विकसित किए जाएंगे। परियोजना के तहत हितग्राहियों को पौधे, खाद, गड्ढे खोदने, पौधों की सुरक्षा के लिए Barbed Wire Fencing, और Irrigation के लिए 50,000 लीटर का जल कुंड बनाने की राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही, Orchard Development के लिए महिला हितग्राहियों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
15 अगस्त से शुरू होगा अभियान
“Ek Bagiya Maa Ke Naam” परियोजना के तहत फलदार Plantation का कार्य 15 अगस्त से अभियान के रूप में शुरू होगा और 15 सितंबर तक चलेगा।
फलदार Plantation के लिए इच्छुक महिलाओं का चयन
परियोजना के तहत Aajeevika Mission के SHGs की ऐसी महिला सदस्य, जो Fruit-Bearing Plantation करने की इच्छुक हों, का चयन किया जाएगा। यदि चयनित महिला हितग्राही के नाम पर भूमि न हो, तो उनके पति, पिता, ससुर, या पुत्र की भूमि पर उनकी सहमति से Plantation किया जाएगा।
अत्याधुनिक तकनीक से होगा Site Selection
परियोजना के तहत Plantation के लिए Site Selection अत्याधुनिक तकनीक (Sipri Software) के माध्यम से किया जाएगा। Sipri Software के जरिए चयनित हितग्राही की भूमि का परीक्षण होगा, जिसमें Climate Suitability, उपयुक्त फलदार पौधों का चयन, और रोपण का समय निर्धारित किया जाएगा। यदि भूमि उपयुक्त न पाई गई, तो Plantation नहीं किया जाएगा।
अमरूद के सौ पौधों से प्रतिवर्ष कितनी कमाई होगी - उदाहरण
सामान्य किस्में (जैसे इलाहाबादी सफेदा, ललित, हिसार सफेदा) और उन्नत किस्में (जैसे थाई पिंक, अर्का किरण) के लिए उपज भिन्न होती है।
उपज अनुमान:
दूसरे वर्ष: प्रति पौधा 20 किलोग्राम (कम उपज, क्योंकि पौधे अभी परिपक्व नहीं हुए)।
तीसरे वर्ष: प्रति पौधा 25-30 किलोग्राम।
चौथे वर्ष और बाद में: प्रति पौधा 50-120 किलोग्राम (उन्नत किस्मों जैसे थाई पिंक या अर्का किरण के लिए)।
औसतन, परिपक्व पौधों (4-6 वर्ष बाद) के लिए प्रति पौधा 60-100 किलोग्राम उपज मान सकते हैं। उदाहरण के लिए, थाई पिंक किस्म से 60-120 किलोग्राम प्रति पौधा और इलाहाबादी सफेदा से 50-85 किलोग्राम प्रति पौधा।
बाजार मूल्य:
अमरूद का बाजार मूल्य मौसम और क्षेत्र के आधार पर बदलता है। सामान्यतः:
ऑफ-सीजन (गैर-मौसमी): 60-75 रुपये प्रति किलोग्राम।
मुख्य मौसम: 30-50 रुपये प्रति किलोग्राम।
औसत मूल्य के लिए 50 रुपये प्रति किलोग्राम मान लिया जाए।
कुल उपज और आय (100 पौधों के लिए):
तीसरे वर्ष (25 किलोग्राम प्रति पौधा):
कुल उपज = 100 पौधे × 25 किलोग्राम = 2,500 किलोग्राम।
आय = 2,500 × 50 रुपये = 1,25,000 रुपये।
चौथे वर्ष और बाद में (60 किलोग्राम प्रति पौधा, रूढ़िगत अनुमान):
कुल उपज = 100 पौधे × 60 किलोग्राम = 6,000 किलोग्राम।
आय = 6,000 × 50 रुपये = 3,00,000 रुपये।
उन्नत किस्मों के लिए (100 किलोग्राम प्रति पौधा, जैसे थाई पिंक):
कुल उपज = 100 पौधे × 100 किलोग्राम = 10,000 किलोग्राम।
आय = 10,000 × 50 रुपये = 5,00,000 रुपये।
लागत (खर्च): प्रारंभिक लागत (पहला वर्ष):
पौधों की लागत: 100 पौधे × 50-100 रुपये = 5,000-10,000 रुपये।
खाद (वर्मीकम्पोस्ट, गोबर): 5 किलोग्राम प्रति पौधा × 100 × 6 रुपये प्रति किलोग्राम = 3,000 रुपये।
सिंचाई, गड्ढे, फेंसिंग, और श्रम: लगभग 20,000-30,000 रुपये (100 पौधों के लिए)।
कुल प्रारंभिक लागत: लगभग 30,000-50,000 रुपये।
रखरखाव लागत (दूसरे वर्ष से): खाद, सिंचाई, छंटाई, और कीटनाशक: प्रति वर्ष 15,000-25,000 रुपये।
तीसरे वर्ष के बाद, लागत घटकर 10,000-20,000 रुपये प्रति वर्ष हो सकती है, क्योंकि पौधे स्थापित हो जाते हैं।
शुद्ध लाभ: तीसरे वर्ष:
आय: 1,25,000 रुपये।
लागत: 20,000 रुपये (रखरखाव)।
शुद्ध लाभ = 1,25,000 - 20,000 = 1,05,000 रुपये।
चौथे वर्ष और बाद में (60 किलोग्राम प्रति पौधा):
आय: 3,00,000 रुपये।
लागत: 15,000 रुपये।
शुद्ध लाभ = 3,00,000 - 15,000 = 2,85,000 रुपये।
उन्नत किस्मों के लिए (100 किलोग्राम प्रति पौधा):
आय: 5,00,000 रुपये।
लागत: 15,000 रुपये।
शुद्ध लाभ = 5,00,000 - 15,000 = 4,85,000 रुपये।
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