मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की पॉलिटिक्स का पहिया तेजी से घूमने लगा है। दिग्विजय सिंह की चाणक्य पॉलिसी एक बार फिर सामने आ गई है। अपने छोटे भाई लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किए जाने का दुख, ग्वालियर में दिग्विजय सिंह के चेहरे पर साफ दिखाई दिया। इसके अलावा स्वयं को कांग्रेस पार्टी का सर्वोच्च नेता साबित करने के लिए एक बार फिर उन्होंने अपनी इस पॉलिसी पर काम करना शुरू कर दिया है, जिस पर वह पिछले 20 साल से काम करते आ रहे हैं।
लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किए जाने का दुख:
ग्वालियर में जब श्री दिग्विजय सिंह से पत्रकारों ने लक्ष्मण सिंह के बारे में प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने ताल ठोक कर कहा कि, लक्ष्मण सिंह मेरा भाई था, मेरा भाई है और मेरा भाई रहेगा। इसके बाद उनका दुख उनकी आंखों और माथे पर भी दिखाई दिया। उन्होंने लड़खड़ाती जुबान में कहा कि, लक्ष्मण सिंह के राजनीतिक विचार, उनके अपने निजी विचार हैं। इसका परिवार से कोई लेना-देना नहीं है। हम दोनों के बीच में राजनीति के विषय पर कभी कोई बात नहीं होती। इसके बाद श्री दिग्विजय सिंह ने, श्री लक्ष्मण सिंह के बारे में अगले प्रश्न का मौका ही नहीं दिया। जबकि लक्ष्मण सिंह अलग पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके हैं।
दिग्विजय सिंह के इन शब्दों का क्या अर्थ हुआ
ग्वालियर में पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान एक बार उन्होंने कहा कि, 'कांग्रेस से जोड़ो, दिग्विजय सिंह जाए भाड़ में'। इसके अलावा एक बार उन्होंने बुलंद आवाज में यह भी पूछा -और कोई है कान फूंकने वाला? बाद में पार्टी के जिला अध्यक्ष के चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि, मैं किसी का नाम नहीं लूंगा और न ही किसी की सिफारिश करूंगा। मैं इस मामले में पार्टी नहीं बनूंगा।
दरअसल, जो लोग श्री दिग्विजय सिंह को पहले से जानते हैं, उनको इन शब्दों के अर्थ पर्याप्त और ठीक प्रकार से समझ में आ गए हैं। जिन लोगों को नहीं समझ में आए हैं उनके लिए हम बता देते हैं:-
कांग्रेस से जोड़ो, दिग्विजय सिंह जाए भाड़ में:- सबके सामने ऐसी बात मत करो, अकेले में बंगले पर आना।
और कोई है कान फूंकने वाला? - समझ में नहीं आ रहा क्या, यहां सिर्फ पार्टी की बात करो, क्योंकि यहां पर पार्टी के जासूस भी मौजूद हैं। बाकी बातें अकेले में करेंगे।
मैं किसी का नाम नहीं लूंगा... - यह तो श्री दिग्विजय सिंह का परमानेंट बयान है। जब उन्होंने संन्यास की बात की थी तो भले ही कुछ चुनाव नहीं लड़ा लेकिन टिकट बांटने का काम हमेशा खुद करते रहे। चुनाव की रणनीति भी बनाई और किसी भी प्रदेश अध्यक्ष को स्वतंत्रता पूर्वक काम नहीं करने दिया। जब भी कांग्रेस पार्टी में प्रत्याशियों के चयन अथवा पदाधिकारियों के चयन की बात आती है तो दिग्विजय सिंह यही बयान देते हैं। बाद में जब लिस्ट जारी होती है और अंदर की खबरें बाहर आती हैं, तब पता चलता है...।