भारत में बहुत सारे लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए चार्जिंग स्टेशन खोलने की योजना बना रहे हैं। वह सही समय का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए आज के एपिसोड में हम आपको बताएंगे कि, भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन खोलने का सही समय आ गया है या नहीं। किस प्रकार के शहर में किस प्रकार का चार्जिंग स्टेशन खोलना चाहिए। उसमें कितना इन्वेस्टमेंट होगा और कितना प्रॉफिट बनने की गुंजाइश है। सब कुछ यहीं पर डिस्कस करेंगे।
भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड कितनी बढ़ रही है
यह सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है और इसका सटीक उत्तर जानना जरूरी है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। 2024 में EV की बिक्री में 43% की वृद्धि देखी गई, और यह रुझान छोटे शहरों में भी फैल रहा है, जहां दोपहिया और तिपहिया EV की मांग बढ़ रही है। छोटे शहरों में किफायती EV मॉडल जैसे टाटा नेक्सन EV और MG ZS EV लोकप्रिय हो रहे हैं, जिससे चार्जिंग स्टेशनों की जरूरत बढ़ रही है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन के बारे में सरकारी पॉलिसी क्या है
- केंद्र सरकार ने PM E-DRIVE योजना (2024 से शुरू) के तहत EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस योजना के तहत मेट्रो सिटी के बाहर टियर-2 और टियर-3 शहरों में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर सरकार की तरफ से सहायता मिलती है।
- FAME-III योजना के तहत EV खरीद और चार्जिंग स्टेशन स्थापना के लिए सब्सिडी उपलब्ध है।
- कई राज्य सरकारें (जैसे उत्तर प्रदेश, गुजरात, और कर्नाटक) स्थानीय स्तर पर EV चार्जिंग स्टेशनों के लिए रियायती बिजली दरें और लाइसेंसिंग में छूट प्रदान कर रही हैं।
Tier-3 यानी छोटे शहरों में EV चार्जिंग स्टेशन का स्कोप
छोटे शहर में सबसे बड़ा फायदा यह है कि, इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन के लिए जमीन की कीमत बड़े शहरों की तुलना में कम है। इसके कारण EV चार्जिंग स्टेशन की लागत कम हो जाएगी। छोटे शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या कम है तो चार्जिंग स्टेशनों की संख्या भी कम है। कई शहरों में तो एक भी चार्जिंग स्टेशन नहीं है। इसलिए मार्केट में एंट्री का अच्छा मौका है। लेकिन सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के अनुसार, अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक EV चार्जिंग स्टेशनों पर 763 मिलियन यूनिट बिजली की खपत हुई। इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन के कारण बिजली की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। आपको देखना होगा कि आपके क्षेत्र में इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कैसी है। बिना इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई के EV चार्जिंग स्टेशन चलाना संभव नहीं होगा। वैसे सोलर एनर्जी एक विकल्प है।
Tier-2 यानी मध्यम स्तर के शहरों में EV चार्जिंग स्टेशन का स्कोप
2024 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में इंदौर, कोयंबटूर और लखनऊ जैसे कई मध्यम स्तर के शहरों में इलेक्ट्रिक व्हीकल की बिक्री में बड़ा उछाल दर्ज किया गया है। यानी कि आज बिल्कुल सही समय है जब इन शहरों में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन शुरू कर देना चाहिए। एंट्री के लिए यह परफेक्ट समय है और देर हो जाने की स्थिति में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। घर से बाहर निकलिए, आसपास देखिए कितने चार्जिंग स्टेशन है, चार्जिंग स्टेशन के लिए सबसे सही लोकेशन क्या हो सकती है। फटाफट रिसर्च एंड डेवलपमेंट कीजिए और फटाफट अपना चार्जिंग स्टेशन शुरू कर दीजिए। देर करोगे तो किसी दूसरे के चार्जिंग स्टेशन के शुभारंभ का लड्डू खाना पड़ जाएगा।
छोटे शहरों में मुर्गी अंडा प्रॉब्लम
इलेक्ट्रिक व्हीकल और चार्जिंग स्टेशन के मामले में भारत के ज्यादातर छोटे शहरों में "मुर्गी-अंडा" प्रॉब्लम चल रही है। पब्लिक चाहती है की चार्जिंग स्टेशन खुल जाए तो इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने का विचार बनाएं और स्टार्टअप की तैयारी किए बैठे बिजनेसमैन सोच रहे हैं कि लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदें, कम से कम चार्जिंग स्टेशन का खर्चा निकल आए, इतना विश्वास हो जाए तो चार्जिंग स्टेशन खोल देंगे। छोटे शहरों में पार्किंग फैसिलिटी भी नहीं होती। छोटे शहरों का सड़कों का नेटवर्क मेट्रो सिटी की तरह व्यवस्थित नहीं है। ऐसी स्थिति में चार्जिंग स्टेशन के लिए प्राइम लोकेशन की तलाश करना चैलेंज है।
EV चार्जिंग स्टेशन में प्रतिस्पर्धा की स्थिति
टाटा पावर, रिलायंस, और BPCL जैसी दिग्गज कंपनियां देश भर में अपने चार्जिंग स्टेशन शुरू करने जा रही है। आप तो जानते ही हैं कि रिलायंस का स्टोर भारत के हर शहर में मौजूद है। TATA की अपनी प्रतिष्ठा है। TATA के नेटवर्क का तो कोई मुकाबला ही नहीं है और BPCL अपने आप में सरकार का दूसरा नाम है।
EV चार्जिंग स्टेशन बिजनेस में कितना इन्वेस्टमेंट आता है
इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन की स्थापना में कितना पैसा खर्च हो जाएगा, इसका सटीक आकलन तो आपकी जिओ लोकेशन के आधार पर ही निकाला जा सकता है परंतु मशीनों की कीमत में कोई अंतर नहीं आता इसलिए हम मशीन की कीमत बता देते हैं:-
स्लो चार्जर (AC): 3.3 kW से 7.4 kW की क्षमता वाले स्लो चार्जर की कीमत 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक हो सकती है। ये मुख्य रूप से दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए उपयुक्त हैं।
फास्ट चार्जर (DC): 15 kW से 50 kW या उससे अधिक क्षमता वाले फास्ट चार्जर की लागत 5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक हो सकती है। ये कार और बसों के लिए उपयुक्त हैं।
उच्च क्षमता वाले चार्जर (100 kW+): ये बड़े स्टेशनों के लिए हैं और इनकी कीमत 25 लाख रुपये से अधिक हो सकती है।
इंस्टॉलेशन लागत: ट्रांसफॉर्मर, वायरिंग, और सिविल वर्क (जैसे कैनोपी, पार्किंग क्षेत्र) के लिए 2 लाख से 5 लाख रुपये तक। ग्रिड कनेक्शन और मीटर सेटअप के लिए 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये।
सॉफ्टवेयर और कनेक्टिविटी: चार्जिंग स्टेशन को मैनेज करने के लिए सॉफ्टवेयर, मोबाइल ऐप इंटीग्रेशन, और क्लाउड कनेक्टिविटी की लागत 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक हो सकती है।
अन्य लागतें:
लाइसेंसिंग और परमिट: 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये।
रखरखाव और कर्मचारी वेतन: प्रति माह 20,000 रुपये से 1 लाख रुपये (1-2 कर्मचारियों के लिए)।
मार्केटिंग और प्रचार: शुरुआती दौर में 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये।
रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI):
प्रति चार्ज 10-20 रुपये/kWh (AC) और 20-30 रुपये/kWh (DC) की दर से शुल्क।
औसतन, एक चार्जर प्रतिदिन 50-100 kWh बिजली की खपत कर सकता है, जिससे प्रति चार्जर 500-3,000 रुपये की दैनिक आय हो सकती है।
ROI समय: छोटे शहरों में कम उपयोग के कारण ROI में 2-5 साल लग सकते हैं, लेकिन मांग बढ़ने पर यह 1-3 साल में संभव है।
लाभ मार्जिन: बिजली लागत और परिचालन खर्च के बाद 20-40% मार्जिन संभव है।
छोटे शहर में EV चार्जिंग स्टेशन खोले या नहीं
आपकी पूंजी 5 साल में वापस मिलेगी। यदि इस शर्त के साथ चलना चाहते हैं तो आगे बढ़ सकते हैं। अब सबसे पहले प्राइम लोकेशन निर्धारित कीजिए। यदि आपका शहर किसी बड़े शहर से 150-200 किलोमीटर की दूरी पर है तो हाईवे पर EV चार्जिंग स्टेशन शुरू करना सबसे अच्छा होगा। हाईवे वैसे भी अच्छा विकल्प है। यदि शहर के अंदर खोलना चाहते हैं तो बाजार की पार्किंग अथवा शहर के सबसे बड़े सरकारी ऑफिस के आसपास अच्छी लोकेशन हो सकती है।
अपनी शुरुआत छोटे स्टेशन से कीजिए और सबसे अच्छा होगा यदि आप टाटा पावर, चार्जजोन, या स्टाटिक जैसे बड़े ऑपरेटरों की फ्रेंचाइजी लेकर काम शुरू करें। इसके कारण आपको टेक्निकल सपोर्ट मिलेगा और ब्रांड वैल्यू का फायदा भी मिलेगा।
यदि आप अपने चार्जिंग स्टेशन में टू व्हीलर बैटरी स्वैपिंग शुरू कर देते हैं तो आपकी सफलता की संभावना सबसे अधिक हो जाएगी क्योंकि छोटे शहरों में बैटरी स्वैपिंग मॉडल सबसे ज्यादा सक्सेस होते हुए देखा जा रहा है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy this article.
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