मध्यप्रदेश सरकार के एक हालिया फैसले ने मंत्रालय में हलचल मचा दी है। मध्यप्रदेश सरकार ने वित्त विभाग में सेक्शन अधिकारी के 15 पदोन्नति वाले पदों पर प्रतिनियुक्ति (Deputation) का निर्णय लिया है। लेकिन इस फैसले का मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ (Ministry Service Officers Employees Union) ने पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है। कर्मचारी संघ को डर है कि यदि इन पदों पर डेप्युटेशन होता है, तो अन्य विभागों में भी यह सिलसिला शुरू हो सकता है, जिससे कर्मचारियों के लिए प्रमोशन के अवसर कम हो जाएंगे।
मध्य प्रदेश के मंत्रालय में कार्यरत प्रत्येक कर्मचारी के हस्ताक्षर लेंगे
शुक्रवार, 6 जून से कर्मचारी संघ ने मंत्रालय के सामान्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) से एक हस्ताक्षर अभियान (Hastakshar Abhiyan) शुरू किया है। इस अभियान के तहत 2 हजार से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के हस्ताक्षर लिए जाएंगे, जिन्हें मुख्य सचिव (Chief Secretary) को सौंपा जाएगा। संघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक (Engr. Sudhir Nayak) ने बताया कि मंत्रालय की तीन बिल्डिंगों में 54 विभाग संचालित हैं, और जब तक सभी कर्मचारियों के हस्ताक्षर नहीं हो जाते, यह अभियान जारी रहेगा। इसके बाद विरोध प्रदर्शन (Protests) का अगला चरण घोषित किया जाएगा।
जब शिक्षकों को लाभ मिल रहा है, तो मंत्रालयीन कर्मचारी वंचित क्यों
संघ के कार्यकारी अध्यक्ष राजकुमार पटेल (Executive President Rajkumar Patel) ने कहा कि पिछले 9 साल से मंत्रालय में पदोन्नतियां बंद हैं, और अब इन पदों को डेप्युटेशन से भरने की तैयारी हो रही है। हैरानी की बात यह है कि जिन कर्मचारियों को डेप्युटेशन पर लाया जा रहा है, वे स्वयं मंत्रालय में आने के इच्छुक नहीं हैं।
इंजीनियर सुधीर नायक का कहना है कि सेक्शन अधिकारी से लेकर सहायक ग्रेड 4 तक की पदोन्नति की प्रक्रिया प्रभावित होगी। हर साल डेप्युटेशन की वजह से 49 पदोन्नति के अवसर खत्म हो जाएंगे। इससे कर्मचारियों में भारी नाराजगी है।
यह भी सवाल उठ रहा है कि जब शिक्षकों को क्रमोन्नति के बाद चौथे समयमान वेतन का लाभ मिल रहा है, तो मंत्रालयीन कर्मचारी इससे वंचित क्यों हैं? इस मुद्दे पर कर्मचारी संघ का आंदोलन और तेज होने की संभावना है। अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहें हमारे साथ। समाचार समाप्त।