मध्य प्रदेश में भिंड जिले के दो पत्रकारों ने, पुलिस पर आरोप लगाया है कि, पुलिस ने रेत माफिया को संरक्षण दिया और उसके काले कारोबार का खुलासा करने के कारण, उन दोनों को (दोनों पत्रकारों को) पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बुलाकर पीटा, एवं उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया। दोनों पत्रकारों ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने और सुरक्षा की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने से मना कर दिया परंतु मामले में भिंड के पुलिस अधीक्षक को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं।
SP office में बुलाकर मारपीट की
मामला भिंड के पत्रकार Shashikant Jatav और Amarkant Singh Chauhan से जुड़ा है। दोनों ने Chambal River में sand mafia के illegal business की खबरें प्रकाशित की थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी बात से नाराज होकर Bhind Police ने उन्हें SP office में बुलाकर मारपीट की और धमकाया। हालांकि, SP Asit Yadav ने इन आरोपों का खंडन किया।
दोनों पत्रकार अपना घर छोड़कर Delhi चले गए
इसके बाद, जान का खतरा बताते हुए दोनों पत्रकार अपना घर छोड़कर Delhi चले गए और Supreme Court तथा Delhi High Court में याचिका दाखिल की। 28 मई को Delhi High Court ने Amarkant Singh Chauhan को security प्रदान की थी। High Court ने Delhi Police को निर्देश दिए थे कि वे Amarkant Singh Chauhan को अगले दो महीने तक security प्रदान करें।
जान का खतरा कैसे साबित होता है
बुधवार को Supreme Court की bench ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि जान का खतरा है, तो कोर्ट उनकी रक्षा करेगा, लेकिन पहले तीन पहलुओं पर स्पष्टीकरण देना होगा: दोनों को जान का खतरा कैसे साबित होता है, याचिकाकर्ता Madhya Pradesh High Court क्यों नहीं गए, और पहले से लंबित Delhi High Court में मामला क्यों नहीं रखा।
BHIND SP को पक्षकार बनाया
पत्रकारों की ओर से वकील Warisha Farasat ने कोर्ट को Press Club of India के बयान और 27 मई को Madhya Pradesh Police द्वारा दर्ज FIR का हवाला दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि बिना Bhind SP को पक्षकार बनाए उन पर आरोप लगाना अनुचित है। इसके बाद वकील ने माफी मांगते हुए SP को पक्षकार बनाने की सहमति दी।
interim stay order देने से इनकार
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका में बताई गई बातें शुरुआती उल्लेख से मेल नहीं खातीं। इसके बावजूद कोर्ट ने अगली सुनवाई 9 जून को तय की है। फिलहाल Supreme Court ने arrest पर interim stay order देने से इनकार कर दिया है।
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