मानसून का इंतजार कर रहे हैं भारत के किसानों के लिए गुड न्यूज़ है। बंगाल की खाड़ी में मानसून का जन्म हो चुका है। वह पूरी तरह से स्वस्थ और बलवान है। तेजी से आगे बढ़ रहा है। मानसून के अल्हड़ मस्त बादलों का बेड़ा अगले तीन दिनों में मालदीव पहुंचने वाला है। समुद्र में परिस्थितियों अनुकूल है। यदि कोई सुरसा नहीं आई तो मानसून समय से 3 दिन पहले भारत की सीमा में प्रवेश कर लेगा।
मौसम का समाचार और मानसून का पूर्वानुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अगले 2-3 दिनों के दौरान दक्षिण अरब सागर के कुछ और भागों, मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र, दक्षिणी बंगाल की खाड़ी, अंडमान द्वीप समूह और अंडमान सागर के शेष भागों तथा मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ भागों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। IMD ने अनुमान लगाया है कि मानसून 27 मई 2025 को केरल तट पर पहुंच सकता है, जो सामान्य तिथि 1 जून से चार दिन पहले है। यह 2009 के बाद पहली बार होगा जब मानसून इतनी जल्दी आएगा। 2009 में मानसून 23 मई को भारत के आसमान में पहुंच गया था।
भारत एवं आसपास के आसमान की गतिविधियां
- एक चक्रवाती परिसंचरण पूर्वोत्तर असम पर बना हुआ है।
- एक चक्रवाती परिसंचरण गुजरात पर है, जो समुद्र तल से 5.8 किमी की ऊँचाई तक विस्तारित है।
- एक अन्य चक्रवाती परिसंचरण कोंकण और इससे सटे क्षेत्रों पर बना हुआ है।
- अंडमान सागर पर एक चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय है।
- दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और इससे सटे तमिलनाडु तट पर भी एक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
चक्रवाती परिसंचरण क्या होता है
चक्रवाती परिसंचरण (Cyclonic Circulation) मौसम विज्ञान में एक ऐसी प्रणाली को कहते हैं जिसमें हवाएँ एक निम्न दाब क्षेत्र (Low Pressure Area) के चारों ओर चक्कर लगाती हैं। यह परिसंचरण सामान्यतः घड़ी की विपरीत दिशा में (उत्तरी गोलार्ध में) होता है और इसके केंद्र में हवा ऊपर की ओर उठती है, जिससे बादल बनते हैं और वर्षा की संभावना बढ़ती है। सरल हिंदी में चक्रवाती परिसंचरण (साइक्लोनिक सर्कुलेशन) से ही बादलों का उत्पादन होता है। फिलहाल पांच स्थानों पर मानसून के बादलों का प्रोडक्शन शुरू हो गया है।
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