हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की ग्वालियर बेंच ने मध्य प्रदेश पुलिस के महानिदेशक श्री कैलाश मकवाना के खिलाफ वारंट जारी किया है। यह पहला, ₹5000 का जमानती वारंट है। मामला हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना का है। पुलिस विभाग ने 10 साल से हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।
हाई कोर्ट ने 6 जून 2014 को आदेश दिया था
याचिकाकर्ता पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया ने वर्ष 2012 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में सब-इंस्पेक्टर पद पर नियुक्ति के लिए याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 6 जून 2014 को आदेश दिया कि एसएएफ में प्लाटून कमांडर पद पर नियुक्ति की तिथि से ही उन्हें सब-इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त किया जाए। साथ ही, इस आदेश का पालन 45 दिनों के भीतर करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन पुलिस मुख्यालय ने आदेश का पालन नहीं किया।
10 साल बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ
इस वजह से 2015 में अवमानना याचिका दायर की गई, जो तब से लंबित है। आदेश का पालन न होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और 20 जनवरी को निर्देश दिया कि मध्यप्रदेश के डीजीपी 6 फरवरी को अदालत में पेश हों। बावजूद इसके, डीजीपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए, जिसके चलते उनके खिलाफ ₹5000 का जमानती वारंट जारी किया गया।
DGP कैलाश मकवाना - हाजिरी की तारीख 27 फरवरी
इस मामले में मध्यप्रदेश के डीजीपी को 27 फरवरी को अदालत में पेश होना अनिवार्य होगा। यदि वे निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं होते हैं, तो कोर्ट और सख्त रुख अपना सकता है। संभावना है कि, फरवरी के अंतिम सप्ताह में होने वाली सुनवाई के दौरान डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस कैलाश मकवाना अदालत में उपस्थित हो सकते हैं।
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