BHOPAL NEWS - सीएमएचओ डॉ तिवारी पर दबाव बनाने कारण बताओ नोटिस

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रभाकर तिवारी पर दवा बनाने के लिए कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है। सूत्रों से पता चला है कि उनका अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विवाद बढ़ता जा रहा है। इस नोटिस के बाद भी उन्होंने यदि सरेंडर नहीं किया तो उन्हें पद से हटाकर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी जाएगी। 

भोपाल के सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी को कारण बताओं नोटिस

भोपाल के सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी को संचालनालय लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा की ओर से मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1966 के तहत कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है। वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ. राजू निदारिया के हस्ताक्षर से जारी नोटिस में लिखा है कि, मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आदेश क्रमांक 941/0448/2024/सत्रह/मेडि-1 भोपाल, दिनांक 07.06.2024 द्वारा डॉ. प्रांजल खरे, चिकित्सा अधिकारी, सिविल अस्पताल बैरसिया, जिला भोपाल की नियुक्ति निरस्त की गई है। 

डॉ. प्रांजल खरे की नियुक्ति और विवादित सेवा का मामला

मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा डॉ. प्रांजल खरे का निरस्ती आदेश जारी किये जाने के उपरांत भी आपके द्वारा नियमविरूद्ध संबंधित से निरंतर कार्य करवाया जा रहा है एवं उनका नियमित रूप से वेतन आहरण किया जा रहा है। आपके द्वारा त्रुटिपूर्ण जानकारी दिये जाने के कारण डॉ. प्रांजल खरे, चिकित्सा अधिकारी का नाम नियुक्ति निरस्त आदेश सूची में अंकित हुआ। 

डॉक्टर प्रभाकर तिवारी CMHO पद के अयोग्य!

इस प्रकार आपके द्वारा आदेशों की अवहेलना एवं वित्तीय अनियमितता की गई है। जिस पर आयुक्त, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, मध्यप्रदेश द्वारा अप्रसन्ना व्यक्त की गई। जिससे यह स्पष्ट है कि जिला भोपाल में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के दायित्व का निर्वहन करने में आप अक्षम साबित हुये। आपके उक्त कृत्य के परिणामस्वरूप विभाग की छवि भी धूमिल हुई है। 

अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी

इस प्रकार आपका उपरोक्त कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम, 1965 के नियम, 3 के उप नियम एक के खण्ड (i) (ii) (iii) के अनुरूप न होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है तथा आपने उक्त नियमों का पालन न कर अपने कार्य के प्रति संनिष्ठ एवं कर्तव्यपरायण न रहते हुये स्वयं को अनुशासनात्मक कार्यवाही का भागी बना लिया है। 

अतः आप नोटिस का प्रतिवाद उत्तर एक सप्ताह के भीतर क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवायें भोपाल के माध्यम से प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें। प्रतिवाद उत्तर जारी नोटिस में दी गई समायावधि में प्राप्त न होने की स्थिति में यह मानकर कि आपको अपने पक्ष में कुछ नहीं कहना है मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी जिसके लिये आप स्वयं उत्तरदायी होंगे। 

समाचार का निष्कर्ष

कारण बताओ नोटिस की शब्दावली स्पष्ट करती है कि यह नोटिस केवल एक प्रेशर पॉलिटिक्स है। इस नोटिस के आधार पर यदि कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है तो उसे बड़ी ही आसानी से हाई कोर्ट में चुनौती देकर निरस्त करवाया जा सकता है। नोटिस की भाषा स्पष्ट करती है कि, डॉक्टर प्रभाकर तिवारी को धमकाया जा रहा है। डॉक्टर प्रांजल खरे की नियुक्ति विवाद मामले में, नियम अनुसार कार्रवाई करने की मंशा नहीं है। बल्कि यह मामला केवल एक माध्यम है।

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