BHOPAL NEWS - सौरभ शर्मा की RTO में नौकरी पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने लगवाई थी, कटारे का आरोप

Bhopal Samachar
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प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आज मप्र विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये पूर्व परिवहन आरक्षक और भ्रष्टाचार का आरोपी सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में हुई फर्जी नियुक्ति को लेकर तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह, तत्कालीन परिवहन आयुक्त और उनके निज सचिव पर सवाल उठाते हुये सौरभ शर्मा की फर्जी तरीके से हुई नियुक्ति की जांच की मांग की है। 

परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह की 14/9 नोटशीट

श्री कटारे ने सौरभ शर्मा की नियुक्ति का आदेश का साक्ष्य प्रस्तुत करते हुये बताया कि परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की नियुक्ति आदेश कमांक 6084/2016, दिनांक 29/10/2016 को जारी किया गया। यह आदेश तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह की नोटशीट दिनांक 14/09/2016 के संदर्भ में प्रेषित किया गया था। जिसका उल्लेख शासकीय नोटशीट में कलेक्टर ग्वालियर जो तत्कालीन परिवहन मंत्री द्वारा कलेक्टर, जिला ग्वालियर के पत्र क्रमांक क्यू/2ख/6-2/21/2016/10877 दिनांक 12/08/2016 का हवाला देकर सौरभ शर्मा को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने का प्रकरण अभिमत सहित मंत्री द्वारा चाहा गया था, किया गया है।

श्री कटारे ने बड़ा खुलासा करते हुये कहा कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति में मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कलेक्टर द्वारा शासन को प्रेषित पत्र में अपनी नोटशीट में उल्लेख किया, जबकि यह पत्र सीधे शासन को भेजा गया था। इस स्थिति में मंत्री को पत्र की जानकारी कैसे हुई, यह जांच का विषय है। क्योंकि सौरभ शर्मा की नियुक्ति अवैध थी और पूर्व मंत्री की व्यक्तिगत रूचि एवं दबाव के चलते नियमों को ताक पर रखकर पूर्व मंत्री द्वारा उक्त कलेक्टर के पत्र दिनांक 12/08/2016 पर स्वतः संज्ञान लेकर नोटशीट लिखी गई थी। जबकि परिवहन आरक्षक की नियुक्ति संबंधी अधिकार मंत्री को होते ही नहीं हैं। 

श्री कटारे को प्राप्त एक नोटशीट दिनांक 14/09/2016 जिसके आधार पर सौरभ शर्मा की नियुक्ति की गई, जिसे परिवहन आयुक्त द्वारा भी आदेश के द्वितीय पृष्ठ में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है। 

मध्य प्रदेश शासन की अनुकम्पा नियुक्ति नियमावली दिनांक 29/09/2014 के प्रावधान (विशेषकर 4.1 और 8.1) का उल्लंघन किया गया है जो पूरी तरह नियमविरूद्व है। वहीं अनुकम्पा नियुक्ति नियमावली की धारा 4.1 के अनुसार, यदि दिवंगत शासकीय सेवक के परिवार का कोई भी सदस्य पहले से ही शासकीय सेवा में है, तो परिवार के किसी अन्य सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति का अधिकार नहीं होता है। लेकिन महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि यदि सौरभ शर्मा की मां ने शपथ पत्र में यह दावा किया कि परिवार का कोई अन्य सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है, तो विभाग ने इस शपथ पत्र की वैद्यता की जांच क्यों और किसके दबाव में नहीं की? यह गंभीर मामला के साथ धोखाधड़ी का मामला है।

श्री कटारे ने कहा कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति में नियम 8.1 का उल्लंघन किया गया। क्योंकि नियुक्ति के लिए जिला कलेक्टर द्वारा प्राप्त प्रकरणों की जांच और नियमित पद की उपलब्धता सुनिश्चित करना अनिवार्य है। यदि पद उपलब्ध नहीं था, तो इसे स्पष्ट सूचना के साथ शासन को भेजा जाना चाहिए था। क्योंकि अगर नियमित पद उपलब्ध नहीं था तो आवेदक को इसकी जानकारी दी जाएगी और उसे संविदा शाला शिक्षक के पद हेतु संबंधित कलेक्टर को आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की सलाह दी जाएगी। सवाल यह है कि क्या कलेक्टर ने नियमित पद की अनुपलब्धता की जानकारी शासन को दी थी, और यदि नहीं, तो किस आधार पर नियुक्ति का आदेश जारी किया गया? 

श्री कटारे ने कहा कि भूपेन्द्र सिंह के बयान पर कटाक्ष करते हुये कहा कि तत्कालीन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने मीडिया में कहा कि उनकी सौरभ शर्मा की नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं थी। हालांकि, कलेक्टर ग्वालियर के पत्र का हवाला देते हुये उनकी नोटशीट इसके विपरीत संकेत देती है। पूर्व मंत्री के कार्यकाल में समरसा, करहल, नहर, चिरूला चारों चेकपोस्टों पर एक साथ आरक्षक को प्रभार दिया गया था। जबकि नियमानुसार चेकपोस्टों का प्रभार परिवहन निरीक्षक को दिया जाना चाहिए। जिसकी भी जाँच होना आवश्यक है। भूपेन्द्र सिंह द्वारा मीडिया में दिये गये वक्तव्य और वास्तविकता में विरोधाभास क्यों? इसकी सूक्षमता से जांच होनी चाहिए।

श्री कटारे ने यह भी कहा कि इसी संबंध में पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई में मालथोन चेकपोस्ट पर सौरभ शर्मा की पदस्थापना जब तक भूपेन्द्र सिंह जी मंत्री रहे तब तक एक ही चेकपोस्ट पर पदस्थ रहने की भी जांच होना चाहिये। इतना ही नहीं पूर्व मंत्री के खास करीबी व्यक्ति सेंगर के माध्यम से पैसों का जो लेन देन होता था इसकी भी जांच होना चाहिये। 

श्री कटारे ने कहा कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति और अन्य मामलों में तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह की भूमिका पर विस्तृत जांच आवश्यक है। इन प्रकरणों पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया जाना चाहिए। सौरभ शर्मा को फर्जी तरीके से परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर नियुक्ति का लाभ प्रदाय कराया गया है। इसके संबंध में परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के विरूद्ध एफ.आई.आर. कर लोकायुक्त पुलिस द्वारा कार्यवाही की जाना चाहिये। 

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