BNS 31 - डॉक्टर, मरीज को गंभीर बीमारी बता दे और वह सुनकर अटैक से मर जाए, तब क्या...

डर, भय, सदमा ये तीनों एक दूसरे के समान रूप होते हैं। अगर किसी व्यक्ति के दिमाग में इनका प्रवेश हो जाए तो व्यक्ति समय से पहले या तो पागल हो जाए या मर भी सकता है। अगर यमराज किसी व्यक्ति से बोल दे कि दो दिन बाद तेरी मृत्यु निश्चित है तब व्यक्ति सुनकर अटैक से दो दिन पहले भी मर सकता है। फांसी की सजा होने वाले कैदियों को पहले ही बता दिया जाए की उन्हें फांसी होने वाली है और अपराधी को मानसिक क्षति होती है तब क्या सूचना देने वाला व्यक्ति मानसिक क्षति का दोषी होगा। जानिए:-

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 31 की परिभाषा

किसी व्यक्ति को सावधानीपूर्वक दी गई ऐसी सूचना जो भविष्य में उसे गंभीर बीमारी से मृत्यु तक ले जा सकती है, यह सूचना मिलते ही व्यक्ति को किसी भी प्रकार की अपहानि होती है तब सूचना देने वाला व्यक्ति BNS की धारा 31 के अनुसार अपहानि का जिम्मेदार नहीं होगा।

महत्वपूर्ण निर्णय:- 
श्रीमान X बनाम Y अस्पताल मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि अगर डाक्टर द्वारा किसी मरीज के रोग के बारे मे बता दिया जाता है और इससे मरीज़ को कोई क्षति होती है तो डाक्टर इसका दोषी नहीं होगा। हालांकि डॉक्टर से अपेक्षा की जाती है कि वह, मरीज को बीमारी के बारे में इस प्रकार से जानकारी दे कि, उसे मानसिक रूप से कोई आघात न पहुंचे बल्कि वह मानसिक रूप से ऐसी किसी जानकारी को प्राप्त करने के लिए तैयार हो जाए। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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