BNS 15 - मजिस्ट्रेट यदि किसी निर्दोष व्यक्ति को दंडित कर दे तो मजिस्ट्रेट को क्या दंड मिलेगा

अगर किसी न्यायाधीश द्वारा या मजिस्ट्रेट द्वारा किसी अपराधी को मृत्यु दण्ड की सजा का आदेश दे देता है और उसे फांसी होने के बाद पता चले कि व्यक्ति निर्दोष था तब क्या उसकी मृत्यु का जिम्मेदार न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट होगा। जानिए...

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 15 की परिभाषा

यदि कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट न्यायिक कार्यवाही करते हुए विधि को ध्यान में रखते हुए कोई निर्णय देता है, जिससे कोई व्यक्ति निर्दोष हो लेकिन सबूतों या साक्ष्यों के आधार पर दोषी पाया जाता है, तो मजिस्ट्रेट या न्यायाधीश का निर्णय अपराध नहीं होगा। अर्थात्‌ इस धारा के तहत न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को संरक्षण प्राप्त होता है, लेकिन यह संरक्षण कुछ शर्तों के अधीन है जानिए:- 
1. न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को विधि को ध्यान में रखना होगा।
2. निर्णय लिखित या मौखिक हो सकता है।
3. निर्णय न्यायिक कार्यवाही के दौरान लिया गया हो।

नोट:- यह धारा न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों को न्यायिक कार्यवाही में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की अनुमति देती है, बिना डर के कि उनके निर्णय के लिए उन्हें अपराधी माना जाएगा लेकिन यह धारा सिविल न्यायालय के मजिस्ट्रेटों पर लागू नहीं होती है, उनके लिए न्यायिक अधिकारी संरक्षण अधिनियम, 1850 लागू होती है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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